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Ballia News: एक सामुदायिक शौचालय पर खर्च हो रहे 9000 रुपये, फिर भी खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण

सुबह-शाम जब लोगों के शौच जाने का समय होता है तो उस समय भी सामुदायिक शौचालय खोला नहीं जाता है। जिले के 940 ग्राम पंचायतों में 818 सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूरा हो चुका है। 122 के लिए जमीन की तलाश हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavPublished: Fri, 02 Dec 2022 07:11 PM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2022 07:11 PM (IST)
Ballia News: एक सामुदायिक शौचालय पर खर्च हो रहे 9000 रुपये, फिर भी खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण
अधिकांश स्थानों पर सामुदायिक शौचालय बंद पड़े हैं।

जागरण संवाददाता, बलिया: स्वच्छ भारत मिशन से ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण इसलिए कराया गया ताकि वहां के लोग खुले में शौच को न जाएं और गांव गंदगी से मुक्त रहे। एक सामुदायिक शौचालय की देखरेख पर मानदेय छह हजार रुपये और साफ-सफाई व हैंडवाश आदि के लिए तीन हजार रुपये यानी कुल नौ हजार प्रति माह खर्च किए जाते हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संचालन ग्राम पंचायत की ओर से किया जा रहा है, लेकिन ग्राम प्रधान और सचिवाें की उदासीनता से अधिकांश स्थानों पर सामुदायिक शौचालय बंद पड़े हैं। 

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सुबह-शाम जब लोगों के शौच जाने का समय होता है तो उस समय भी सामुदायिक शौचालय खोला नहीं जाता है। जिले के 940 ग्राम पंचायतों में 818 सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूरा हो चुका है। 122 के लिए जमीन की तलाश हो रही है। पंचायती राज विभाग का दावा है कि जिले के 818 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूरा हो चुका है। दावा है कि सामुदायिक शौचालयों का संचालन हो रहा है, लेकिन हकीकत विपरीत है।

पंदह ब्लाक में अधिकांश सामुदायिक शौचालय बंद

पंदह ब्लाक के 45 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है, लेकिन संचालन नहीं हो रहा है। अधिकांश शौचालयों में ताले लटके हुए हैं। कुछ शौचालय चल रहे हैं तो उसमें पानी या हैंड वाश की व्यवस्था नहीं है। एडीओ पंदह प्रेमनाथ राम का कहना है कि सामुदायिक शौचालयों की जांच की जाएगी। शौचालय का निर्माण जहां अधूरा है, उसे पूरा कराया जाएगा। 

सामुदायिक शौचालय को बनाया कूड़ा घर

शिवपुर कपूर दियर में सामुदायिक शौचालय को कूड़ा घर बना दिया। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालयों पर किसकी तैनाती है, यह भी लोगों को पता नहीं हैं। कर्मचारी को बैठाकर मानदेय दिया जाता है। यही स्थिति 25 गांवों की है।

इन्होंने कहा…

जिस पंचायत में कोई समूह सक्रिय नहीं है, ऐसे में प्रधान अपने विवेक से दूसरे पंचायत के समूह को जिम्मेदारी दे सकता है। सामुदायिक शौचालय समय से नहीं खुलने की शिकायत मिलने पर संबंधित पर कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। 

-यतेंद्र सिंह, डीपीआरओ।


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