वर्षो बाद निर्भया के गांव वालों ने मनाई होली-दीपावली
सात साल के लंबे इंतजार के बाद मिले न्याय ने सबकों झूमा दिया। निर्भया के गांव का चप्पा-चप्पा खुशी से लबरेज था। दरिदों को उनका मुकाम मिलते ही गांव वालों ने शुक्रवार का होली व दीपावली एक साथ मनाई।
जागरण संवाददाता, नरही (बलिया) : सात साल के लंबे इंतजार के बाद मिले न्याय ने सबको झूमा दिया। निर्भया के गांव का चप्पा-चप्पा खुशी से लबरेज था। दरिदों को उनका मुकाम मिलते ही गांव वालों ने शुक्रवार का होली व दीपावली एक साथ मनाई।
गुरुवार देर रात तक संदेह के साये में रात गुजारने वाले ग्रामीणों ने शुक्रवार की सुबह जमकर खुशियां मनाई। वैसे तो गुरुवार शाम से ही निर्भया के गांव के लोग टीवी के सामने चिपक गए थे और पल-पल की घटना से अपडेट हो रहे थे। बावजूद रह रह कर उनकी जेहन में पूर्व के नजारे कौंध जा रहे थे। फिर भी लोगों ने उम्मीद नहीं छोड़ी। गांव के अधिकतर लोग रात भर जागकर आखिरी निर्णय का इंतजार करते रहे। शुक्रवार की भोर में जैसे ही गुनाहगारों को फांसी दी गई गांव के लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी का इजहार किया।
पौ फटते ही गांव के बाहर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई। सबने एक-दूसरे को गुलाल लगाया और मिष्ठान खिलाकर खुशियां बांटी। क्या बच्चा, क्या बूढ़ा हर कोई इस पल को अपनी आखों में कैद कर लेना चाह रहा था। महिलाएं व बच्चियां भी इसमें पीछे नहीं रही। सभी ने एक स्वर से न्यायपालिका के निर्णय को सराहा, लेकिन कहीं न कहीं गुनाहगारों को बचाने के लिए अपनाये गये हथकंडे उनको सालते रहे। लोगों ने कहा कि जघन्य अपराध में मामले में त्वरित सजा की व्यवस्था होनी चाहिए। सात साल के बाद न्याय मिला।
बेशक, यह दिल को सुकून देने वाला है, लेकिन न्याय में हुई देरी का मलाल सबको है। लोगों ने हैदराबाद की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि सजा का अर्थ गुनाहगारों में भय पैदा करना होना चाहिए। बचाव का समय मिलने से ऐसे लोगों का हौसला घटने की बजाय बढ़ता है। उम्मीद है इस घटना के बाद लड़कियों व महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में कमी आएगी।