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सीवरेज में अब 45 करोड़ और बहाने की तैयारी

बलिया के 93 करोड़ के सीवरेज घोटाले में अब 45 करोड़ और बहाने

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 06:06 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 06:06 PM (IST)
सीवरेज में अब 45 करोड़ और बहाने की तैयारी
सीवरेज में अब 45 करोड़ और बहाने की तैयारी

जागरण संवाददाता, बलिया : बलिया के 93 करोड़ के सीवरेज घोटाले में अब 45 करोड़ और बहाने की तैयारी कर ली गई है। नेशनल मिशन आफ क्लीन गंगा को 139 करोड़ रुपये का रिवाइज स्टीमेट भेजा गया है। कहने का आशय है कि 95 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट के नाम पर पहले ही खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब 39 करोड़ और स्वीकृति के लिए फाइल दौड़ा दी गई है।

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चूंकि कार्यदायी एजेंसी के छह करोड़ उत्तर प्रदेश जल निगम के पास पहले से ही बचे हुए हैं इसलिए कुल 145 करोड़ रुपये और खर्च करने की योजना बना ली गई है। 20 एमएलडी क्षमता की एसटीपी को तोड़कर छोड़हर में नए सिरे से एसटीपी बनाने की कवायद हो रही है। राज्य स्तरीय कमेटी ने स्टीमेट को मंजूरी दे दी है, अब गेंद नेशनल मिशन आफ क्लीन गंगा के पाले में डाली गई है। उधर प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए जल निगम पुरानी कंपनी की शरण में है। कंपनी के अधिकारियों से बातचीत चल रही है। हालांकि नई कंपनी की भी तलाश की जा रही है। सवाल उठ रहा कि पुरानी परियोजना के तहत जो 30 किलोमीटर लाइनें कागज पर बिछाई गई हैं, वह अब टूट चुकी हैं। जो लाइन ठीक भी है, उसमें जनता अपना सीवर बहा रही है। ऐसे में लाइनें जाम हो चुकी हैं। उसे ठीक कराने के लिए सिल्ट निकालना पड़ेगा। राज्य स्तरीय कमेटी ने पूछे पांच सवाल, भेजा जवाब

यूं कहें कि यह धनराशि जनता के किसी काम में नहीं आएगी तो शायद गलत नहीं होगा। यही वजह है कि राज्य स्तरीय कमेटी ने जल निगम से पांच गंभीर सवाल पूछ लिए हैं। यह भी पूछा कि पुरानी कंपनी पर क्या कार्रवाई की गई है। सवालों के जवाब भेजे जा रहे हैं। कुल मिलाकर मामला फंसता हुआ दिख रहा है। घोटालेबाज इंजीनियरों को अभयदान की तैयारी

करीब 93 करोड़ के सीवरेज घोटाले में यूपी जल निगम के छह इंजीनियर समेत आठ लोगों को अभयदान देने की तैयारी चल रही है। शासन ने उनके खिलाफ नए तरीके से आरोप पत्र बनाने के आदेश दिए हैं। अभी तक चार्जशीट शासन को भेजी नहीं गई है। एक दशक पुराने इस मामले में कई जिम्मेदार रिटायर्ड हो चुके हैं, या फिर वह दूसरे जिलों में पदोन्नत किए जा चुके हैं।

रिवाइज स्टीमेट भेजा गया है। निर्माणाधीन स्टीमेट को नए सिर से बनाने की कवायद चल रही है। कमेटी द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे दिया गया है। स्थिति बेहतर करने की कोशिश है।

- अंकुर श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम


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