मुसीबत आई तो साहस से शक्तिस्वरूपा बन गईं बहराइच की नारियां
स्त्री में निहित शक्ति रूप तभी प्रकट होता है और ऐसे में लिखी जाती है साहस और शौर्य की वह कहानी जिसे देख-सुन लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।
बहराइच [विजय द्विवेदी]। उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार बहराइच कई मायनों में काफी धनी है। हिमालय की तराई व पड़ोसी देश नेपाल से लगे बहराइच में अकूत वनसंपदा है। यह क्षेत्र पूरे उत्तर प्रदेश का ऑक्सीजन जोन है। कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग देश का प्रमुख पर्यटन केंद्र है। यहां हिंसक वन्य जीव भी हैं जो अक्सर शिकार की खोज में भटककर आबादी में आ धमकते हैं।
यही वजह है कि लोग भय में जीते-जीते साहसी हो जाते हैं। स्त्री में निहित शक्ति रूप तभी प्रकट होता है और ऐसे में लिखी जाती है साहस और शौर्य की वह कहानी जिसे देख-सुन लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। हम बता रहे हैं ऐसी ही पांच शक्तिस्वरूपा नारियों की कहानी जिनके साहस को हाल ही में मुख्यमंत्री ने भी सराहा और रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया।
बेटी को बचाने के लिए तेंदुए पर झपट पड़ीं सुनीता
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के निशानगाड़ा रेंज के राजाराम टांड़ा कारीकोट गांव में अरसे पहले एक रात को करीब आठ बजे तेंदुआ जयप्रकाश के घर में घुस आया। बच्चे खाना खा रहे थे। 10 वर्षीय पुत्री लक्ष्मी आंगन में लगे नल पर पानी लेने गई थी कि तेंदुए ने उसे पकड़ लिया और खींचकर ले जाने लगा। शोर सुनकर लक्ष्मी की मां सुनीता बिना देर किए बिटिया को छुड़ाने के लिए तेंदुए पर झपट पड़ी।
तेंदुए ने लड़की को खींचकर आंगन से कूदकर भागने की कोशिश की, लेकिन सुनीता बेटी को छुड़ाने के लिए तेंदुए से संघर्ष करती रहीं। बच्चों के चिल्लाने पर गांव के लोग और जयप्रकाश मौके पर पहुंच गए। तब तक सुनीता ने तेंदुए से बच्ची को छुड़ा लिया। इस संघर्ष में तेंदुए ने लक्ष्मी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। मां स्वयं बच्ची को जिला अस्पताल ले गई, जहां से ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर किया गया। वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने आर्थिक मदद भी की। बच्ची बच गई। इस संघर्ष के बावजूद यह दंपती वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रयासरत है।
जब बेटी को तेंदुए के मुंह से बचा लाई साहसी सिंधू
मऊ में मांदी गांव की सिंधू सुजौली रेंज के रमपुरवा बनकटी में एक शादी समारोह में शामिल होने आई थीं। 28 फरवरी को सुबह सिंधू अपनी पुत्री खुशबू को शौच के लिए गांव के समीप नहर किनारे ले गई। इसी दौरान तेंदुए ने खुशबू पर हमला कर दिया।
उसको पकड़ कर तेंदुआ खींचकर ले जाने लगा। मां सिंधू साहस बटोर कर बिना देर किए बेटी को छुड़ाने के लिए तेंदुए से अकेले ही भिड़ गईं। यही नहीं तेंदुए के जबड़े से बच्ची को छुड़ाकर वह गले में कपड़ा बांध उसमें बेटी को लपेटकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुजौली पहुंची।
तारा के अद्भुत साहस से घबराकर भागा बाघ
रामगांव थाना क्षेत्र के मुकेरिया गांव की तारा इसी साल छह मार्च को अपनी चार वर्षीय बेटी मन्नू के साथ शाम को खेत में तिलहन की फसल काट रही थीं। बाघ ने उनकी बेटी पर हमला कर दिया। तारा बेटी को छुड़ाने के लिए बाघ से भिड़ गईं।
साहस का परिचय देते हुए उन्होंने बाघ से अपनी बेटी को छुड़ा लिया। इस संघर्ष में तारा भी घायल हो गईं। शोर पर आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग भी मौके पर पहुंच गए। हांका लगाने पर बाघ भाग खड़ा हुआ।
गुलक्ष्ची ने तेंदुए से 15 मिनट जूझकर भाई को बचाया
सुजौली थाना क्षेत्र के कुरकुरी कला गांव की एक शाम जब 22 वर्षीय युवती गुलक्ष्ची को लोगों ने तेंदुए से संघर्ष करते हुए देखा तो रोंगटे खड़े हो गए। तेंदुए के चंगुल में फंसे भाई सूरज की जिंदगी बचाने के लिए गुलक्ष्ची शेरनी की तरह उस पर टूट पड़ी थी।
अपनी जान की परवाह न करते हुए 15 मिनट तक तेंदुए से जूझती रही। गुलक्ष्ची के साहस व संघर्ष को देखकर गांव के लोग जब तक एकजुट होते तेंदुआ जंगल की ओर भाग गया। तेंदुए के हमले में गुलक्ष्ची घायल हो गई लेकिन उसके भाई की जिंदगी बच गई।
लकड़बग्घे से भिड़कर बचा लिया अपनी बेटी को
महसी तहसील के चंदपइया ग्रामपंचायत के डिहवा गांव निवासी पुष्पा पत्नी मनीराम सात मार्च, 2018 को जब अपनी चार वर्षीय बेटी सावित्री को लेकर शौच को गई थी तो खूंखार लकड़बग्घे ने सावित्री पर हमला कर दिया।
पुष्पा ने बड़ी दिलेरी के साथ लकड़बग्घे का सामना किया जब तक कि शोर सुनकर आसपास के लोग एकत्र न हो गए तब तक पुष्पा ने अपनी बेटी को मुक्त करा लिया था। लकड़बग्घे के इस हमले में मां-बेटी दोनों जख्मी हो गई, लेकिन मां ने बेटी को बचा लिया।