निर्यात की बंदिशों में थमी फैक्ट्रियों की रफ्तार
जिले में आटा तैयार करने के मामले में सबसे बड़ी फैक्ट्री सपना फ्लोर मिल है। यह फैक्ट्री तो चल रही है लेकिन उत्पादन आधा हो गया है।यही हाल अन्य आटा फैक्ट्रियों का भी है।
प्रदीप तिवारी, बहराइच : जिले में आटा तैयार करने के मामले में सबसे बड़ी फैक्ट्री सपना फ्लोर मिल है। यह फैक्ट्री तो चल रही है, लेकिन उत्पादन आधा हो गया है।यही हाल अन्य आटा फैक्ट्रियों का भी है। गैर प्रांतों में निर्यात पर बंदिशें लागू होने से न सिर्फ उत्पादन घटा है। फैक्ट्रियों के पहियों की रफ्तार पर आश्रित कर्मचारियों की जीविका पर लॉकडाउन ने संकट पैदा कर दिया है। परोक्ष रूप से वे नए सवेरे की उम्मीद के साथ घरों पर बैठे हुए हैं।
तराई क्षेत्र में गेहूं का बंपर उत्पादन होता है, लिहाजा यहां गेहूं से जुड़ा आटा उद्योग भी विस्तृत है। सरकारी अभिलेखों में छह बड़ी आटा फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 1000 से 1500 कुशल व अकुशल कारीगरों की जीविका निर्भर है। यहां का आटा लखनऊ, फैजाबाद, दिल्ली समेत नेपाल भी निर्यात किया जाता है। लॉकडाउन लागू होने के बाद से इनका चक्का मंद पड़ गया है। यहां काम करने वाले दैनिक मजदूर जीविका छिनने से घर पर बैठे हैं।
सपना फ्लोर मिल मालिक गौरीशंकर भानीरामका बताते हैं कि ढाई फीसद मंडी शुल्क अदा करना पड़ रहा है। अब जब कारोबार ठप है तो सरकार को गति देने के लिए एकमुश्त समाधान योजना लाना चाहिए, जिससे मिल चले, मजदूर को काम मिले और सरकार को राजस्व का भी नुकसान न हो।
सीएम को शुल्क हटाने का भेजा सुझाव : गौरीशंकर बताते हैं कि सीएम की ओर से सुझाव मांगे गए थे। इस पर मध्य प्रदेश की तर्ज पर मंडी शुल्क को हटाने का सुझाव दिया गया था। बिना शुल्क हटाए उत्पादन बढ़ाना नामुमकिन है, क्योंकि आटा का निर्यात भी नहीं हो पा रहा है। जिले में खपत भी बहुत कम है।