कच्ची मिट्टी रूपी शिष्यों को शिक्षा रूपी ज्ञान से आकार दे रहे संतकुमार
बाल टीम के जरिए अभिभावकों को भी दी जा रही शिक्षा
प्रदीप तिवारी, बहराइच : शिष्य के जीवन में गुरु का सबसे सुंदर रूप कुम्हार का है, जो कच्ची मिट्टी रूपी विद्यार्थी को सधे हाथों से मथकर अपनी रचनात्मकता से संस्कारवान बनाता है। इसी बात को संकल्प मानकर फखरपुर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढोंगाही बटुरहा के शिक्षक एसके चौबे बच्चों के साथ अभिभावकों को भी अक्षर ज्ञान कराने में जुटे हुए हैं।
वर्ष 2006 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के रूप में उन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नियुक्ति मिली। यहां अधिकांश आबादी अपने छोटे बच्चों को या तो पंजाब भेज देती है या होटल-ढाबे, घरों में मजदूरी के लिए। लड़कियों की शिक्षा और भी खराब थी। चौबे ने लोगों को शिक्षा के लिए न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि स्वयं के संसाधनों से कॉपी-पेसिल जैसी आवश्यकता को पूर्ण किया। उन्हें अतिरिक्त समय देकर पढ़ाया। उनकी कोशिश परवान चढ़ी और मेहनतकश मजदूरों के बच्चे भी स्नातक तक की पढ़ाई कर सके। वर्ष 2010 में उन्हें विकास खंड फखरपुर का सह समन्वयक बनाया गया। शिक्षक प्रशिक्षण को रोचक बनाकर उन्होंने विद्यालयों में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित कराया। वर्ष 2012 में पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढोंगाही बटुरहा में जब इनकी नियुक्ति हुई तो उस समय बटुरहा ग्राम में सिर्फ 12 लोग इंटर तक शिक्षित थे।
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सामाजिक सरोकारों के लिए बच्चों संग करते हैं काम
-वे विभिन्न महापुरुषों की वेशभूषा में बच्चों के माध्यम से विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, यातायात जागरूकता माध्यम से जनसामान्य को प्रेरित करते हैं। अपनी कर्मठता से वह जनसामान्य के आदर्श बने हुए है।