सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा, देश तुझे सलाम लिखूंगा..
बहराइच : भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन सेनानी भवन सभागर में किया गया।
बहराइच : भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन सेनानी भवन सभागर में किया गया। इसकी अध्यक्षता शिव कुमार ¨सह रैकवार व संचालन राम सूरत वर्मा 'जलज' ने किया। मां वीणा पाणि का स्तवन वंदन तिलक
राम अजनबी' ने किया। उन्होंने पढ़ा - बनें 'अजनबी' दौड़ते ही रहे हैं, कभी चैन पल भर को पाया नहीं है।' पीके प्रचंड ने पढ़ा- सुबह लिखूंगा शाम लिखूंगा, देश तुझे सलाम लिखूंगा। पल पल तेरे रक्षा के हित, जीवन तेरे नाम लिखूंगा।' राम सूरत वर्मा 'जलज' ने पढ़ा- केंऊ स्वीटर शाल ओ गरम रजाई मा, केऊ हीटर ब्लोअर के गरमाई मा। जिन्हके धरती बिस्तर, अंबर है ओढ़ना, कइसे बचिहै 'जलज' पूस बरफाई मा। डॉ. अशोक 'गुलशन' ने पढ़ा- बस यही सोचकर दरिया के पास बैठा हूं, कि शायद रूप में तेरे कोई कंवल निकल।' शिव कुमार ¨सह रैकवार ने पढ़ा - दास बनकर अस्थि-पंजर चाम का, जी रहे जीवन भला किस काम का। एक मुट्ठी भस्म बस परिणाम अंतिम इसलिए अवलंब लें हरिनाम का।' इस मौके पर नितेश शुक्ल, अयोध्या प्रसाद शर्मा 'नवीन' ने काव्य पाठ किया। समाज सेवी रमेश मिश्र समेत अन्य लोग मौजूद रहे।