सूखी नहरें, कैसे बुझे खेतों की प्यास!
पयागपुर (बहराइच) : पयागपुर तहसील क्षेत्र में नहरें सूखी पड़ी है, जिससे खेतों की ¨सचाई प्रभा
पयागपुर (बहराइच) : पयागपुर तहसील क्षेत्र में नहरें सूखी पड़ी है, जिससे खेतों की ¨सचाई प्रभावित हो रही है। सरयू नहर खंड-पांच की नहर शाखा चित्तौरा व श्रावस्ती के गिलौला क्षेत्र से गोंडा जिले के आर्य नगर तक गई है। नहर के आसपास आधा दर्जन से अधिक गांव पड़ते हैं। नहर में सितंबर माह में पानी था।
लगभग 40 किमी लंबी नहर के किनारे दंदौली, सेवढ़ा, लखाही, पैड़ी, बैसनपुरवा, ऐलो, अमदापुर, अकरौरा, पांडेयपुरवा, सोहरियावां, चैसार, विशेश्वरगंज ब्लॉक के झूरी कुइयां, श्रीनगर, हरैया होते हुए गोंडा के आर्यनगर तक गई हुई है। नहरों में पानी न आने का खामियाजा रबी की बोआई के लिए तैयारी कर रहे किसानों को भुगतना पड़ रहा है। गन्ना समेत अन्य फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। नहर की एक शाखा पयागपुर क्षेत्र के नारायणपुर, खड़पुरवा, कुसभौना, बनिया गांव, पुरैना व मुंडेरवा माफी होते हुए गोंडा के इटिया थोक तक गई है। नहर के दोनों शाखाओं के आसपास 100 से अधिक गांव पड़ते हैं। इसी से फसलों की ¨सचाई होती है। सरयू नहरों में जमी सिल्ट की सफाई वर्ष 2015 -16 में हुआ था। इसके बाद से यह पटती चली गई। सिल्ट जमा हो जाने से इसका स्वरूप बदल चुका है। नहर के अलावा माइनरों की हालत भी बदतर है। इनमें झाड़-झंखाड़ व सिल्ट जमी हुई है, जिसके कारण टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। प्रगतिशील किसान उमा शंकर तिवारी, संतोष गुप्ता, विशेश्वरगंज के किसान संतोष तिवारी व कृष्ण मुरारी कहते हैं कि नहरों की सफाई सिर्फ कागजों पर हुआ है। इनमें ज्यादातर समय न तो पानी ही रहता है और न ही पानी छोड़ने का कोई रोस्टर। इससे फसलों की ¨सचाई समय से नहीं हो पाती। उपज पर भी असर पड़ रहा है।
सफाई का कोई बजट नहीं आया है। कुछ माइनर की सफाई के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। नहरों में पानी छोड़ने का रोस्टर बना हुआ है। दिसंबर के पहले हफ्ते में पानी छोड़ा जाएगा। उदय प्रताप ¨सह, एई, सरयू नहर खंड-पांच