तलाक की पीर से उबर नहीं पा रही मुस्लिम महिलाएं
सऊदी अरब में बैठ कर फोन पर तो किसी ने दहेज के लिए दिया तलाक संसद में कानून पास होने के बाद 33 महिलाओं को दिया गया तलाक
बहराइच : तलाक, तलाक, तलाक। तीन बार के ये शब्द मुस्लिम महिलाओं की हंसती जिदगी को गम में डूबोने के लिए काफी है। अर्से से रूढि़वादी परंपरा की पीर से गुजर रही महिलाओं को संसद में कानून पास कर सुरक्षा कवच दिया गया है। बावजूद तराई में आज भी तलाक के यह शब्द मुस्लिम महिलाओं के कानों में अक्सर गूंज रहा है।
फखरपुर थाना क्षेत्र के ग्राम रसूलपुर दरेहटा की रहनुमा को सऊदी में बैठे पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया। तलाक देने के बाद ही ससुरालीजनों ने उसे घर से निकाल दिया। बेबस बेसहारा रहनुमा थाने पहुंची। किसी तरह मुकदमा तो दर्ज हो गया, लेकिन उसके आगे कोई कदम नहीं उठाया गया। मुस्लिम महिलाओं के इसी दर्द को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 19 सितंबर 2018 को तीन तलाक के खिलाफ संसद में कानून बनाया। तीन तलाक के शब्द पर कानूनी शिकंजा कसा। अफसोस, बावजूद इसके जिले में रहनुमा जैसी 33 महिलाएं हैं, जो तीन तलाक की शिकार हुई हैं। ------------- प्रोबेशन के पास आए 19 मामले जिला प्रोबेशन अधिकारी विनय सिंह की मानें तो उनके पास ऐसे 19 मामले आए हैं। 11 में मुकदमा हुआ है। एक खारिज हो गया है। आठ का सुलह-समझौते का मामला चल रहा है। --------- कानून लड़ाई के लिए 2500 रुपये मिल रही मदद प्रोबेशन विभाग की ओर से तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को कानूनी लड़ाई के लिए एकमुश्त 2500 रुपये आर्थिक सहायता दी जा रही है, जबकि भरण पोषण के नाम पर उन्हें 125 रुपये हर माह दिया जा रहा है। --------------- फाइलों में अटकी पेंशन की कवायद
सरकार ने तीन तलाक पीड़िताओं को पेंशन देने का फरमान जारी किया था। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विजय कुमार मिश्र बताते हैं कि 33 महिलाओं की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अभी तक इस पर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।