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सहफसली खेती से समृद्धि की इबारत लिख रहे मीरपुर वासी

बहराइच : पूरब में पांडव कालीन श्रीदेवी गुल्लाबीर मंदिर, दक्षिण-पूर्व में बहती सरयू नदी के तट

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 12:04 AM (IST)
सहफसली खेती से समृद्धि की इबारत लिख रहे मीरपुर वासी
सहफसली खेती से समृद्धि की इबारत लिख रहे मीरपुर वासी

बहराइच : पूरब में पांडव कालीन श्रीदेवी गुल्लाबीर मंदिर, दक्षिण-पूर्व में बहती सरयू नदी के तट पर गौरा बाबा का आश्रम, भोर होते ही घंटा-घड़ियाल गूंजने लगते हैं। शहर से सटी ग्राम पंचायत मीरपुर कस्बे में प्रचीन कुआं व सरोवर गांव की सौंदर्यता को चार चांद लगा रहे हैं। मक्का के साथ हो रही सहफसली की खेती गांव के किसानो की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है।

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इन पर नाज है : शहरी क्षेत्र से सटे मीरपुर कस्बा के बुजुर्गों का कहना है कि मुस्लिम मीर समुदाय बाहुल्य होने के कारण इस गांव का नाम मीरपुर पड़ गया। यही नहीं गांव के कई बार प्रधान रहे घसीटे ने एक मजरा बसाया, जिसका नाम प्रधानपुरवा तो मुखिया प्रसाद के नाम पर मुखियापुरवा राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। इन लोगों ने बिना भेदभाव किए समुचित विकास कार्य कर गांव की तस्वीर बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांव के लोग आज भी इन दोनों को विकास पुरुष के नाम से जानते हैं।

यह है खूबी : मान्यता है कि देवी गुल्लाबीर हनुमान जी के अवतार स्वरूप हैं,जो गांव के साथ ही ड्योढ़ी पर कदम रखने वाले हर दुखियारों की पीड़ा को हरते हैं। पुजारी दिनेश चंद्र पाठक कहते हैं कि शीतला माता की ड्योढ़ी से कोई निराश नहीं जाता है। होली पर्व के आठवें दिन आठो मेला इस नगरी की पवित्रता को दर्शाता है। दूर-दराज से लोग मनोकामना पूर्ण होने पर इस दिन आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। चारों ओर हरे-भरे खेत गांव की समृद्धि का अहसास कराते हैं। लहलहाती मक्का फसल के साथ लौकी, तरोई, करेला समेत कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं। इस काम में महिलाएं भी पुरुषों के साथ हाथ बंटाती हैं।

आधारभूत ढांचा : मीरपुर गांव में छोटी जोत के किसान परिवार हैं। यहां 80 फीसद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग निवास करते हैं। 11 मजरों वाले मीरपुर कस्बा गांव की आबादी 5660 है, जिसके सापेक्ष 2000 मतदाता हैं। तीन परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। गांव की गलियां सोलर लाइट से जगमगाती हैं तो शुद्ध पानी के लिए गांव के लोग हैंडपंप पर आश्रित हैं। निर्माणाधीन राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद इस गांव की ढांचा को भविष्य में और मजबूत करेगा।

ये हो तो बने बात

-सरयू तट का सुंदरीकरण

-मिनी सचिवालय का निर्माण

-पानी टंकी का निर्माण व बरातघर

-आंगनबाड़ी केंद्र व बिजली की व्यवस्था

दृष्टिकोण बदला, अब बदलेगी तस्वीर

ग्राम प्रधान राम प्यारी कहती हैं कि चुनाव जीतने के साथ उनका नजरिया बदल गया। जनता के भरोसे पर उतरने के लिए लगाता विकास कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे दोनों समुदायों के लोगों का भला हो सकें। जनहित से जुड़ी समस्याओं को त्वरित व प्राथमिकता से निस्तारण करना उनकी प्राथमिकता है। पूर्व प्रधान रुस्तम कहते हैं कि सिर्फ योजनाएं गिनाई जा रही हैं। धरातल पर काम नहीं दिख रहा है।


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