पिजरे में कैद हुआ दहशत का पर्याय तेंदुआ
तेंदुए को सुरक्षित कतर्निया वन्य जीव विहार में ले जाने की वन विभाग कर रहा तैयारी
बहराइच : रामगांव क्षेत्र के दर्जनों गांवों में दहशत का पर्याय बना तेंदुआ गुरुवार सुबह बसौना माफी गांव में वन विभाग के पिजरे में कैद हो गया। गांव में वन विभाग की टीम ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पहले से पिजरा लगा रखा था। वन व पुलिस विभाग की टीम भी मौके पर मुस्तैद रही। अब तेंदुए को सुरक्षित कतर्निया वन्य जीव विहार में ले जाने की तैयारी की जा रही है।
रेहुआ मंसूर, मुसलीपुरवा, पसियनपुरवा, बसौनामाफी समेत आसपास के दर्जनों गांवों में काफी दिनों से तेंदुआ दहशत का पर्याय बना था। क्षेत्रीय वनाधिकारी दीपक सिंह ने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए दो टीमें गठित की गई थीं। एक टीम में वन दारोगा अमित वर्मा, वनरक्षक प्रताप सिंह, मुहम्मद अरशद एवं दूसरी टीम में वन दारोगा जहीरुद्दीन खान, वनरक्षक प्रमीत कुमार सिंह, अवधेश कुमार ओझा को शामिल किया गया। तेंदुए को पकड़ने के लिए अलग-अलग गांवों में दो पिजरा लगाए गए थे। प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि पकड़े गए नर तेंदुए की उम्र 8-9 साल है। इससे पूर्व 2017 में भी एक शावक के साथ दो मादा तेंदुआ का रेस्क्यू किया गया था। तेंदुआ पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
मादा तेंदुआ ने छह लोगों को किया था घायल
वर्ष 2018 में इसी थाना क्षेत्र के नकाही धोबिया गांव के पास बाग में ढाई वर्ष के मादा तेंदुआ ने छह लोगों पर हमला कर घायल कर दिया था। शोर-शराबा सुनकर मौके पर पहुंचे गांव के लोगों ने लाठी-डंडा लेकर तेंदुए को दौड़ा लिया। तेंदुआ पास की झाड़ी में छिप गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने झाड़ी में आग लगा दी। आग से बचने के लिए तेंदुआ जैसे ही बाहर निकला। ग्रामीणों से उसे पीट-पीटकर मार डाला था।
तेंदुए की तलाश में जयमाला व चंपाकली ने की कांबिग
बिछिया : कतर्नियाघाट रेंज के चहलवा ग्राम पंचायत के विजय नगर, मंगलपुरवा व बाजपुर बनकटी ग्राम पंचायत के पठाननपुरवा गांव में हथिनी जयमाला व चंपाकली के साथ वन क्षेत्राधिकारी रामकुमार के नेतृत्व में वन दारोगा अनिल कुमार, वन रक्षक अब्दुल सलाम ने कांबिग की। यहां पिछले सप्ताह तेंदुए ने मवेशियों को निशाना बनाया था। अभी तक तेंदुए का लोकेशन पता नहीं चल सका है।
बाघ की असमय मौत से वन्यजीव प्रेमी दुखी : कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब की अकबरपुरा स्थित कार्यालय पर हुई बैठक में कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में बीते नौ अक्टूबर को बाघ की नदी में असमय डूबने पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। अध्यक्ष भगवान दास लखमानी ने कहा कि बाघ हमारे देश का राष्ट्रीय पशु है। कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में लगभग 35 बाघ हैं। यहां देश-विदेश से सैलानी गैंजेटिक डाल्फिन, घड़ियाल और बाघ और तेंदुओं का दीदार करने के लिए आते हैं। जंगल के अस्तित्व के लिए बाघ महत्वपूर्ण हैं। इसी पर पर्यटन उद्योग भी टिका है। ऐसे में एक भी बाघ की असमय मृत्यु वन विभाग और वन्य जीव प्रेमियों के लिए बहुत बड़ा झटका है। सचिव राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि जंगल की जैव विविधता बनाए रखने और शाकाहारी वन्य जीवों की संख्या को नियंत्रित रखने में बाघों और तेंदुओं का होना अति आवश्यक है। वर्ष 2017 में दो बाघों की असमय मौत के बाद कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में इधर बाघों की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन बाघ की मौत चिताजनक है। बैठक में क्लब के डा. देवकीनंदन त्रिपाठी, सुंदर लखमानी, आरके सिंह, मुजीब खान, रामशेर यादव, अमन लखमानी, मिथलेश जायसवाल, अंकुर राव, सुरेश गुप्त, राजीव सिन्हा, अमर सिंह, डा. अतुल मिश्र, रिधिमा सिंह मौजूद रहे।