भूमि उपलब्ध पर नानपारा एवं मिहींपुरवा में अग्निशमन भवन नहीं
नदियों एवं जंगल से घिरे क्षेत्र दुर्गम होने के साथ संचार के साधन भी बेहतर नहीं
जागरण संवाददाता, बहराइच : अग्निकांडों की दृष्टि से अति संवेदनशील सीमावर्ती मिहींपुरवा एवं नानपारा तहसीलों में भूमि होने के बावजूद अग्निशमन कार्यालय एवं कर्मचारियों के आवासीय भवन नहीं है, जबकि इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इससे आपदा राहत के मामले में फायर बिग्रेड प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रही है।
नेपाल सीमा पर स्थित होने के कारण इन तहसीलों में सुसज्जित अग्निशमन केंद्र के भवन की आवश्यकता अर्से से महसूस की जा रही है। नेपाल से बिगड़ते रिश्तों के बीच जरूरत और भी बढ़ गई है। यह क्षेत्र नदियों एवं जंगल से घिरा होने के कारण दुर्गम है और आकार भी बड़ा है। रास्तों के साथ ही संचार के साधन भी अत्यंत कमजोर हैं। बावजूद इसके अग्निशमन केंद्र नहीं है।
नानपारा में 120 वर्ष पुराने तहसील भवन में 2010 से अग्निशमन केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यह भवन जर्जर है। इससे फायर बिग्रेड से जुड़े उपकरणों के रखरखाव के साथ अभिलेखों की सुरक्षा भी बड़ी मुश्किल से हो पाती है। यहां भवन निर्माण के भूमि भी उपलब्ध है और स्वीकृति भी हो चुकी है, लेकिन बजट का आवंटन अधर में है। इससे निर्माण कार्य शुरू नहीं सका है, जबकि इस केंद्र पर लगभग चार सौ गांवों को आग से बचाने का जिम्मा है।
मिहींपुरवा तहसील के ग्राम कुड़वा में .360 हेक्टेयर भूमि भी अग्निशमन केंद्र के निर्माण के लिए आवंटित हो चुकी है। एक यूनिट के फायर स्टेशन के निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। अब वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है। बलहा की विधायक सरोज सोनकर ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अग्निशमन केंद्र के निर्माण के लिए धनावंटन का आग्रह किया है।
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नानपारा एवं मिहींपुरवा में फायर स्टेशन के आवासीय एवं अनावासीय भवन की आवश्यकता है। निर्माण कार्य के लिए धनावंटन करने का प्रस्ताव राज्य मुख्यालय भेजा जा चुका है।
-शिवकुमार मिश्र, जिला अग्निशमन अधिकारी