किसान बरतें सावधानी, बढ़ाएं आलू का उत्पादन
बहराइच : आलू की खेती जिले में बड़े पैमाने पर होती है, पर जरा सी असावधानी उत्पादन में बाधक
बहराइच : आलू की खेती जिले में बड़े पैमाने पर होती है, पर जरा सी असावधानी उत्पादन में बाधक बन सकती है। सर्द के मौसम में आलू की फसल को बेहतर निगरानी की जरूरत है। सतर्कता बरत कर विभिन्न बीमारियों से तो बचाया ही जा सकता है। साथ ही कम लागत में अच्छा उत्पादन भी हो सकता है। जरा सी भी चूक हुई तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिक बोवाई के बाद से ही सतर्कता की नसीहत दे रहे हैं। फैल सकता है झुलसा रोग जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ.आरडी वर्मा कहते हैं कि आलू की फसल में झुलसा रोग फैल सकता है। यह रोग अगेती व पछेती दो प्रकार होता है। अगेती में बोवाई के बाद आठ से 10 पत्तियां होने पर भी तापमान बदलाव के कारण पत्तियों के ऊपरी हिस्से के किनारे से ही पीले होना व धीरे-धीरे सूख जाना पहला लक्षण है। इस रोग से बचाव के लिए मंकाजेब 75 प्रतिशत दवा को ढाई किलो लेकर 400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेअर में छिड़काव करें। पछेती प्रजाति में झुलसा रोग लगने पर इसके निचले हिस्से की पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देते ही कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत दो-ढाई किलोग्राम दवा की मात्रा लेकर 400-500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। जैविक खाद से होगा अच्छा उत्पादन कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि आलू की फसल अमूमन 90 दिन में तैयार हो जाती है। कम लागत में अच्छे उत्पादन के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा 30-25 किलो प्रति एकड़ डीएपी का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।