बुखार पीड़ित बच्चों से पटे सरकारी से लेकर निजी अस्पताल
बहराइच : तराई में बुखार का कहर जारी है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल बुखार पीि
बहराइच : तराई में बुखार का कहर जारी है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल बुखार पीड़ित बच्चों से पटे हुए हैं। 50 दिनों में संक्रामक बीमारियों से 79 बच्चों की मौत की रिपोर्ट ने शासन व प्रशासन की नींद उड़ा दी है। इनमें बुखार से मरने वालों की संख्या 21 है। गैर सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सरकारी व निजी अस्पतालों को मिलाकर तकरीबन 70 बच्चे बुखार से ही दम तोड़ चुके हैं। बुखार से हो रही मौतों को देखते हुए 25 अतिरिक्त बेड चिल्ड्रेन वार्ड में बढ़ाए गए हैं। सीएचसी व पीएचसी पर भी पांच बेड आरक्षित कर बच्चों के त्वरित इलाज की व्यवस्था की गई है।
भारत-नेपाल सीमा से सटे 201 बेड वाले बहराइच जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में 40 बेड हैं। बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा के साथ ही नेपाल राष्ट्र के लोग भी यहां इलाज के लिए आते हैं। चिल्ड्रेन वार्ड का आलम यह है कि बरामदे में 10 और बेड लगाए गए हैं। बच्चों के त्वरित इलाज को लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम लगाई गई है। बुखार से पीड़ित बच्चों से सरकारी अस्पताल ही नहीं, निजी अस्पताल भी हांफ रहे हैं। सीएमओ ने सभी प्रभारियों को बेड आरक्षित करने के साथ उपलब्ध दवाओं की रिपेार्ट तलब किए हैं। पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड भी फुल है। एक बेड पर दो से तीन बच्चे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखे गए हैं। संक्रामक बीमारियों से मौतों का विवरण
जिला अस्पताल में अगस्त माह से लेकर 19 सितंबर तक कुल 79 बच्चों की मौत हुई है। इनमें मेनिनजाइटिस से 15, बर्थ एसफिक्सिया से 14, निमोनिया से नौ, एक्यूट इंसेफ्लाइटिस से छह, एनीमिया से चार, डायरिया से दो, हेपेटाइटिस से तीन, सेप्टीसीमिया से 23 व तीन की अन्य बीमारियों से मौत हुई है। गंदगी से फैल रही बीमारी
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. केके वर्मा का कहना है कि बरसात के बाद वायरल बुखार फैलता है। इसकी मुख्य वजह जगह-जगह बारिश के पानी का जमाव है। जिससे मच्छर पनपते हैं। जिसका सर्वाधिक प्रभाव बच्चों की सेहत पर पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण मच्छर काटने पर वायरल बुखार शुरू हो जाता है। अभिभावकों की अनदेखी के चलते टायफाइड, मेनिनजाइटिस व एईएस का रूप ले लेता है।