मिट्टी से भी तो पूछो सेहत का हाल
प्रदीप तिवारी बहराइच हरित क्रांति से लेकर अब तक फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य तो
प्रदीप तिवारी, बहराइच
हरित क्रांति से लेकर अब तक फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य तो हासिल हो गया, मगर मिट्टी की सेहत और मृदा संतुलन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए। मिट्टी की गिरती सेहत व किसानों की आय दोगुनी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि महकमा अभिनव पहल करने जा रहा है। अब जिले के 14 गांवों को मॉडल के रूप में संवारा जाएगा। इन गांवों के सौ फीसद किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच होगी। इन गांवों में खेत तैयार करने, बोआई से लेकर फसल तैयार तक के सभी कार्य वैज्ञानिक अपनी देखरेख में कराएंगे।
सभी 14 ब्लॉकों से एक-एक गांवों का चयन किया गया है। इनमें कैथाचक, हरैया, खरिहा, अरई खुर्द, पड़ोहिया, मझौरा, मूसेपुर, वरिया गोठी, बलचंद्रपुर, जहानचक, लालबोझी, पूरे सूर्यसन, कुरसहा व करनिया गांव शामिल हैं। इन गांवों में वैज्ञानिक 350 किसानों के खेतों में प्रदर्शनी लगाएंगे। इन किसानों के खेतों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए सरकार हर किसान को 2,500 रुपये की दर से खातों में अनुदान मुहैया कराएगी।
तीन चक्रों में लगेगा मेला
जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पांडेय बताते हैं कि मॉडल गांवों में प्रति हेक्टेअर जमीन में ग्रिड मानकर मिट्टी के नमूने लेकर प्रयोगशाला में जांच कराई जाएगी। तीन चक्रों में कृषि मेला लगेगा। पहला रबी बोआई के समय, दूसरा फसल पकने व तीसरा मेला फसल काटने के बाद गांवों में लगाया जाएगा। इसका मकसद किसानों को जागरूक करना है।
सिर्फ 0.06 फीसद मिट्टी में बचा है नाइट्रोजन
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमवी सिंह बताते हैं कि तराई का यह क्षेत्र बेहतर उत्पादन के लिए जाना जाता रहा है। वर्तमान में मिट्टी में 0.06 फीसद नाइट्रोजन की उपलब्धता है। 75 फीसद ब्लॉकों में फास्फोरस सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पोटाश व जिक तो तराई की मिट्टी से लगभग गायब होने की स्थिति में है। ऑर्गेनिक कार्बन की कमी के चलते पैदावार निरंतर घट रही है।