फोटो : शहर की पहचान बने कूड़े के ढेर
फाइलों में कैद होकर रह गई कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने की योजना चित्र परिचय - 17 बीआर
फाइलों में कैद होकर रह गई कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने की योजना चित्र परिचय - 17 बीआरएच 7 में फोटो है। जासं, बहराइच : जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर शहर की पहचान बन चुके हैं। फिलहाल कूड़ा-करकट से शहरवासियों को निजात मिलने की उम्मीद भी कम दिख रही है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए यहां कोई इंतजाम भी नहीं हैं। कूड़ा निस्तारण केंद्र की परियोजना फाइलों में कैद होकर रह गई है। केंद्र के लिए जमीन ही ढूंढे नहीं मिल पा रही है। नतीजतन शहर में किसी भी तरफ जाइए, गंदगी के ऊंचे-ऊंचे ढेर आपका स्वागत करेंगे। दरअसल शहर का विस्तार हुआ, आबादी बढ़ी, लेकिन कूड़ा-कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं की गई। सड़क के किनारे कूड़ा-कचरा फेंका जा रहा है।
31 वार्डों में विभक्त शहर की आबादी तकरीबन साढ़े तीन लाख के करीब होगी। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के ²ष्टिकोण से भी बहराइच का विशेष महत्व है। इन सबके बावजूद भी शहर कूड़े-कचरे से पटता जा रहा है। हर रोज तकरीबन 70 टन कूड़ा विभिन्न वार्डों से निकलता है, लेकिन इसके निस्तारण के लिए व्यवस्थित इंतजाम नहीं है। खुले में कूड़ा फेंकना नगरपालिका परिषद की आदत में शुमार है। शहर से निकलने वाले कूड़े को बहराइच-गोंडा मार्ग या सरयू नदी के गोलवाघाट के किनारे फेंक दिया जाता है। यही नहीं घरों से एकत्र किए जाने वाले कूड़े को सड़क के किनारे लगा दिया जाता है। कई दिनों तक लगे ढेर सफाई व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं। बरहियापुरा हो या कानूनगोपुरा या फिर बक्शीपुरा या घसियारीपुरा। इन वार्डों में सफाई व्यवस्था को ग्रहण लग गया है। शहर को ग्रीन-क्लीन बनाने के लिए नगरपालिका परिषद ने घर-घर से कूड़ा उठाने का अभियान चलाया। यह अभियान दरकता नजर आ रहा है। भले ही नपाप के अधिकारी या जिम्मेदार लोग सफाई व्यवस्था को चाक-चौबंद बता रहे हों, लेकिन धरातल पर शहर की पहचान कूड़े के ढेर से ही हो रही है।