खूंखार बंदियों के सामने मुट्ठीभर फौज
बहराइच : जिला कारागार में खूंखार बंदियों को काबू करने के लिए मुट्ठी भर फौज की तैनाती ह
बहराइच : जिला कारागार में खूंखार बंदियों को काबू करने के लिए मुट्ठी भर फौज की तैनाती है। जेल में निरुद्ध इन बंदियों को काबू में रखना कारागार प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। 550 बंदियों के सापेक्ष जेल में तकरीबन 1400 बंदी हैं। बंदियों के सापेक्ष बंदी रक्षकों की तैनाती नहीं है। नेपाल सीमा से सटे होने के नाते बहराइच जेल संवेदनशील भी है। यहां से कैदी फरार भी हो चुके हैं। बहराइच-श्रावस्ती के अलावा नेपाल, लखीमपुर, सीतापुर, गोंडा, बरेली, मुरादाबाद जैसे जिलों के शातिर अपराधी भी जेल में निरुद्ध हैं। इसके बावजूद भी सुरक्षा के मानक यहां पूरे नहीं हो रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय आजादी के दीवानो को कैद करने के लिए वर्ष 1886 में बनाई गई बहराइच जेल आज भी सुरक्षा के उन्हीं आधार मानकों पर टिकी हुई है। जेल अधीक्षक समेत अन्य पुलिस कर्मियों के पद खाली पड़े हैं। जेल में वाहन तो है, लेकिन चालक का पद सृजित नहीं है।
जिला कारागार बहराइच में बंदियों के लिए 13 बैरकें हैं। जेल मैनुअल के अनुसार एक बैरक में 60 से अधिक बंदी नहीं रहने चाहिए। इसके बावजूद भेड़ बकरियों की तरह हर बैरक में बंदी रखे जा रहे है। बहराइच जिला कारागार द्वितीय श्रेणी की जेल में आती है। जेल प्रशासन के अनुसार जेल में वाहन तो है, लेकिन चालक का पद सृजित नहीं है। ऐसे में बीमार बंदियों को अस्पताल पहुंचाना चुनौती से कम नहीं है।
जेल से भागे थे कैदी : वर्ष 2006 में जिला कारागार के उत्तर दिशा की जेल की दीवार पर कपड़ों की रस्सी बनाकर जेल में बंद पांच बंदी फरार हो गए थे। हालांकि बाद में सभी पकड़ लिए गए थे। इसमें जेलकर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आई थी। इसके अलावा जनपद न्यायाधीश श्रावस्ती की कोर्ट में 14 नवंबर 2016 को सिरसिया के पड़रहवा गांव निवासी शमसुद्दीन उर्फ छोटकऊ और मेराजुद्दीन उर्फ बाबादई पेशी से वापस लौटते समय पुरानी बाजार के निकट से पुलिस कर्मियों से हाथापाई कर फरार हो गए थे।
जेल में रिक्त पदों व तैनाती का विवरण
पद रिक्त तैनाती जेल अधीक्षक 1 - जेलर 1 1 डिप्टी जेलर 4 3 बंदीरक्षक 59 44
हेड वार्डर 7 4
महिला बंदीरक्षक 8 1
लिपिक 3 1
कोट
जिला कारागार में बंदी रक्षकों व अन्य स्टाफ की कमी को लेकर मुख्यालय पर कई बार पत्राचार किया गया है। उच्चाधिकारियों को परेशानियों से अवगत कराया गया है।
-वीके शुक्ला, जेलर