..तो गाढ़ी कमाई और सरकारी दावे बहा ले गई बाढ़
1.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित बाढ़ के पानी में डूबकर दो मासूमों समेत चार की गई जान
बहराइच : जिले में हर साल घाघरा, सरयू, गेरुआ नदी बाढ़ का कहर बरपाती हैं। बाढ़ से निपटने का सरकारी अमला पूरी तैयारी करने का दावा भी करता है। तमाम तैयारियों के बाद भी नदी के किनारे रहने वाले लोगों की गाढ़ी कमाई और वादों को बाढ़ बहा ले जाती है ।
जिले की लगभग 100 किमी सीमा नेपाल देश से लगती है। जिले की भौगोलिक संरचना के कारण हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से जूझना पड़ता है। छह तहसील, 14 ब्लाकों व 1045 ग्रामपंचायतों में से 259 राजस्व ग्राम व चार गैर आबाद राजस्व ग्राम बाढ़ प्रभावित रहते हैं। नेपाल से आए लाखों क्यूसेक पानी किसानों के गाढ़ी कमाई के साथ तमाम दावों को भी बहा ले गई। 160 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी भर गया। 1.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित है। फसलें पूरी तरह जलमग्न होकर चौपट हो गई हैं। नेपाल के पहाड़ों पर हुई बारिश से जिले में आई बाढ़ के पानी में डूबकर दो मासूमों समेत चार लोगों की जान भी जा चुकी है। नानपारा, महसी, कैसरगंज व मिहींपुरवा तहसील क्षेत्रों में बाढ़ का कहर सबसे ज्यादा रहा। दक्षिणी श्रेणियों से निकलने वाली महत्वपूर्ण नदियों में घाघरा, सरयू, शारदा व राप्ती हिमालय से निकलती हैं। नेपाल से नदियों में पानी छोड़े जाने व पहाड़ों पर बारिश होने से जिले का दो-तिहाई भाग बाढ़ का दंश झेलता है। छोटी-बड़ी सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती हैं।
तटबंध का नाम व लंबाई
बेलहा बेहरौली तटबंध - 95 किमी
रेवली आदमपुर तटबंध - 15 किमी
एल्गिन चरसड़ी तटबंध - 3.400 किमी
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कोट
बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में एनडीआरएफ व फ्लड पीएसी के जवान तैनात हैं। बाढ़ से हुई मौत में मृतकों के परिवारजन को मुआवजा दिया गया है। बाढ़ के पानी से घिरे गांवों में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित निकालने के लिए नावें लगाई गई हैं। बचाव व राहत कार्य जारी है।
-मनोज, एडीएम