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खतरे के निशान को पार कर गई घाघरा

300 गांवों पर मंडराया बाढ़ का खतरा सुरक्षित स्थानों की ओर गृहस्थी का सामान पहुंचा रहे लोग कटान हुई तेज एक घर व 40 बीघा जमीन नदी की धारा में समाई चित्र परिचय -

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 10:57 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 10:57 PM (IST)
खतरे के निशान को पार कर गई घाघरा
खतरे के निशान को पार कर गई घाघरा

संसू, महसी/गजाधरपुर(बहराइच) : पहाड़ों पर हो रही बारिश के चलते घाघरा नदी का जलस्तर गुरुवार को लाल निशान पार कर गया। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा खतरे के निशान से सात सेमी ऊपर बह रही है। कटान भी तेज हो गई। तकरीबन 300 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। एक घर व 40 बीघा जमीन नदी की धारा में समा गई। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग घरों को उजाड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर गृहस्थी के सामानों को पहुंचा रहे हैं। एल्गिन ब्रिज पर खतरे का निशान 106.07 मीटर है, जबकि घाघरा का जलस्तर 106.0436 पर पहुंच गया है।

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महसी : घूरदेवी स्थित स्पर पर घाघरा नदी का जलस्तर 111.230 मीटर रिकार्ड किया गया। 24 घंटे में 41 सेमी जलस्तर में वृद्धि हुई है। घाघरा नदी खतरे के निशान से अभी 93 सेमी नीचे बह रही है। जलस्तर बढ़ने के बाद महसी तहसील के निचले क्षेत्र में बसे पचदेवरी, माझादरिया, चुरईपुरवा, नकाही, मैकूपुरवा, गलकारा, जंगलपुरवा, टिकुरी, कायमपुर, जुगुलपुरवा, तारापुरवा, पिपरी, गोड़ियनपुरवा, पिपरा, जरमापुर, खरखट्टनपुरवा समेत 30 गांवों में बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। इसके अलावा कैसरगंज, नानपारा व मिहीपुरवा तहसील क्षेत्र के तकरीबन 270 गांवों पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कोढ़वा गांव के गोविद प्रसाद, जगदंबिका प्रसाद व विजय कुमार के आशियाने, रामचंद्र, गयाप्रसाद व ननकऊ की गन्ने की फसल कटान के मुहाने पर है। कटान के चलते ग्रामीण अपने घर की ईंटों के साथ गृहस्थी सहेजने में जुट हुए हैं। तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि बाढ़ व कटान की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। राजस्व कर्मियों को सतर्क कर दिया गया है। उधर कैसरगंज तहसील क्षेत्र के ग्यारह सौ रेती के राजाराम, ज्ञानचंद्र, बृजेश, रामविलास, प्रकाश, वीरेंद्र, जगदीश, रामकुमार, भगवती, रमाशंकर, हरिहर, बेचन, श्यामनारायण, राधेश्याम, विद्यादीन, ओंकार, पवन कुमार समेत अन्य किसानों की 40 बीघे जमीन नदी की धारा में समा गई। गुलाबपुरवा के गुलाब का घर भी नदी में कट गया। प्रशासन की ओर से की जा रही अनदेखी से कटान पीड़ितों में रोष है।

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