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नहर में अजीब सी हलचल देख भागे बच्चे, वन कर्मियों ने दो मिनट में पकड़ा Bahraich News

बहराइच बौंडी थाना क्षेत्र के जैतापुर कस्बे के निकट नहर में एक घाघरा नदी से बहकर एक डॉल्फिन आ गई। मछुआरों की मदद से वन कर्मियों ने दो मिनट में घूरदेवी स्थित घाघरा नदी में छोड़ दिया।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 02:46 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 02:46 PM (IST)
नहर में अजीब सी हलचल देख भागे बच्चे, वन कर्मियों ने दो मिनट में पकड़ा Bahraich News
नहर में अजीब सी हलचल देख भागे बच्चे, वन कर्मियों ने दो मिनट में पकड़ा Bahraich News

बहराइच, जेएनएन। जिले स्थित जैतापुर कस्बे के निकट नहर में रविवार सुबह बच्चों को अजीब सी हलचल दिखी। शोर मचाते हुए ग्रामीणों को सूचना दी। मौके पर लोग पहुंचे तो डॉल्फिन को कलरव करते हुए देखा गया। ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। मछुआरों के सहयोग से नहर में जाल से डॉल्फिन को पकड़ा। कड़ी मश्क्कत के बाद तकरीबन दो मिनट के भीतर ही उसे घूरदेवी स्थित घाघरा नदी में छोड़ दिया गया।

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डॉल्फिन को देखने पड़ोस गांव से भी जमा हुए लोग 

मामला बौंडी थाना क्षेत्र के जैतापुर कस्बे के निकट नहर का है। यहां रविवार सुबह घाघरा नदी से बहकर एक डॉल्फिन आ गई। सूचना मिलते ही वन दारोगा जहिरुद्दीन खान व बीट प्रभारी जुबेर खान वन कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे। मछुआरों की मदद से वन कर्मियों ने नहर में जाल फैलाया और डॉल्फिन को पकड़ा। तकरीबन दो मिनट के भीतर ही उसे घूरदेवी स्थित घाघरा नदी में छोड़ दिया गया। वन दारोगा खान ने बताया कि पकड़ी गई डॉल्फिन छह महीने की है। इसका वजन 18 किलोग्राम के करीब है।

घाघरा में बढ़ रहा डॉल्फिन का कुनबा

घाघरा नदी में हाल ही में डॉल्फिन का कुनबा बढ़ा है, जो कि जल संरक्षण का परिचायक है। जल स्तर बढऩे के बाद इधर-उधर के छोटे-छोटे जलाशयों में डॉल्फिन और मगरमच्छ आदि आ जाते हैं। 

रंग लाई गांगेय डॉल्फिन संरक्षण शिक्षा कार्यक्रम

डॉल्फिन को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार द्वारा विकास सन् 2014 से 2017 तक बौंडी क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के सहयोग से पर्यावरण शिक्षण केंद्र द्वारा गांगेय डॉल्फिन संरक्षण शिक्षा कार्यक्रम संचालित किया गया था। जिसके तहत समस्त क्षेत्रवासियों को डॉल्फिन की पहचान वह उनके महत्व तथा संरक्षण के बारे में ग्रामीणों को विधिवत बताया गया था। परियोजना के सफल क्रियान्वयन के चलते बीते पांच वर्षों में बौंडी क्षेत्र के कायमपुर, गोलागंज, सिलौटा व कनरखीघाट पर कई बार घाघरा में डॉल्फिनें करवट बदलती नजर आई। परियोजना सहायक विपिन वर्मा ने बताया कि बेशक उनके परियोजना का कार्यकाल पूरा हो गया ,लेकिन ग्रामीणों के अंदर डॉल्फिन संरक्षण की जो ललक है वह काबिले तारीफ है।

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