चुनावी चौपाल: मझधार में फंसी नइया, नहीं मिला कोई सियासी खेवइया
शहर से सटे नगरपालिका से कटे मुहल्ले की बदहाली पर प्रस्तुत है जागरण संवाददाता की रिपोर्ट। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में दैनिक जागरण की चौपाल आयोजित हुई।
बहराइच, जेएनएन। ऐतिहासिक, पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के दृष्टिकोण से बहराइच का विशेष महत्व है। बहराइच में शिव मंदिरों की बहुलता है। स्थान-स्थान पर शिवलिंग हैं। प्रसिद्ध सिद्धनाथ मंदिर हैं। यहां पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। सांप्रदायिक सौहार्द व भाईचारे की अद्भुत मिसाल हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी की दरगाह है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी बहराइच अग्रणी रहा है।
स्वतंत्रता आंदोलन के लिए यहां आकर महात्मा गांधी, पं.जवाहर लाल नेहरू, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई व सरोजनी नायडू ने लोगों को एकजुट व प्रेरित किया। आजादी के बाद जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर लोगों के सामाजिक व आर्थिक विकास का समुचित प्रयास किया गया, लेकिन सियासी दलों द्वारा बिछाई गई शतरंज की बिसात पर बहराइच शहर का एक ऐसा इलाका है, जिसके हाथ हर चाल पर मात ही लगी है। नेता आए। सर आंखों पर बिठाया, लेकिन जब विकास की बारी आई तो साथ नहीं दिखे, जिन पर भरोसा जताया था। सड़क हो या बिजली, पानी या जलनिकासी या फिर नगर पालिका में शामिल करने का मामला हो। यहां के निवासी हमेशा छले गए।
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में दैनिक जागरण की चौपाल आयोजित हुई। इसमें आजादी के 70 साल सफर करने के बाद विकास के सफर में शून्य रहे माधवपुरी के लोगों का दर्द खूब छलका। चौपाल में सभी लोगो ने विधायक व मंत्री पर जमकर भड़ास निकाली। सड़क, जल निकासी, बिजली व पानी समेत अन्य व्यवहारिक समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। कहा कि न तो वे शहर में हैं और न ही गांव में। 10 वर्षों से नगरपालिका में शामिल होने की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें नगरपालिका में वोट डालने का अधिकार नहीं मिला। उनकी स्थिति आज भी त्रिशंकु जैसी बनी हुई है। न वे शहर के हैं और न देहात के हैं। बोले कि वे ऐसा जनप्रतिनिधि चुनने के पक्षधर हैं, जो उनके इलाके के विकास की इबारत लिखे और उन्हें नगरपालिका में शामिल कराए। वसुधैव कुटुंबकम और जय भारत के उद्घोष के साथ सभी ने भरपूर्ण मतदान करने का संकल्प भी लिया।
- मुकुट बिहारी तिवारी का कहना है कि सरकार टैक्स तो लेती है, लेकिन जो सुविधाएं देनी चाहिए। वह नहीं दे रही है। सड़क पर जलभराव की समस्या खत्म नहीं हो रही है। बच्चों को स्कूल आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे बच्चे जूते को हाथ में लेकर गंदे पानी से गुजर कर स्कूल जाते हैं। इस पर न तो जिला प्रशासन के किसी अधिकारी की नजर पड़ रही है और न ही किसी नेता की।
- अयोध्या प्रसाद अवस्थी ने कहा, मुहल्ला का नाम माधवपुरी है। स्थान विकास भवन के पीछे। इस मुहल्ले में पांच हजार की आबादी है, लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि यह मुहल्ला न गांव में है और न शहर में। अभी तक इसे नगर पालिका में शामिल नहीं किया गया। कई सरकारें बनी और कई बिगड़ गई, लेकिन इस समस्या का समाधान के लिए किसी भी प्रतिनिधि ने आवाज नही उठाई और न ही आश्वासन दिया।
- छेदीराम शुक्ला कहते हैं कि माधवपुरी मुहल्ले के लिए न तो कोई सरकार है और न ही कोई इंतजाम। यह मुहल्ला की पहचान बताया जाता है कि डीएम के आवास के पीछे वाला या विकास भवन के पीछे। इसे नोमेंस लैंड कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। इसके बाद भी इस समस्या का समाधान के लिए कोई अधिकारी ध्यान नही दे रहा है। ऐसे में कैसे कहा जाए कि वर्तमान सरकार अच्छी है और आने वाले सरकार अच्छी होगी।
- ओम प्रकाश सक्सेना ने बताया कि 1995 में माधवपुरी के लोग मेवातीपुरा मुहल्ले में शामिल थे। उसके बाद नाम हटा दिया गया। जब नाम शामिल करने के लिए जनगणना की टीम से कहा गया तो समस्या डीएम के पास पहुंची। उन्हाेंने जिस गांव में जो लोग रह रहे हों। वहां शामिल करने को कहा। शेखदहीर व जगतापुर गांव पंचायत में यहां के ज्यादातर लोग दर्ज हैं। मुहल्ले में समस्याएं बरकरार हैं। नाला खुले पड़े हैं। मवेशी गिर कर इसमें घायल हो रहे हैं। न तो जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान जा रहा है और न ही अधिकारी ही कुछ सुन रहे हैं। हमें मतदान जरूर करना है और ऐसा जनप्रतिनिधि चुनना है जो मुहल्ले की समस्याएं दूर कर सके।
- निर्मला सिंह के मुताबिक, चुनाव आता है तो सारे प्रत्याशी इस तरह पहचानते है कि जैसे हम उनके रिश्तेदार है। चुनाव जीतने के बाद वह ऐसे भूल जाते है कि हम कभी उनसे मिले ही नही थे। अब कही सामने पड़ते है तो आंखे नीचे कर लेते है कि कही कोई काम न कह दे। इस सरकार में शिकायत के बाद भी कोई काम नही हो रहा है।
- आशीष तिवारी कहते हैं कि माधवपुरी मुहल्ले के लोग यहां की बदहाली के चलते नारकीय जीवन जी रहे हैं। नाली, खड़ंजा व समय से बिजली आपूर्ति की समस्या यहां आम बात है। निचला क्षेत्र होने के चलते जलभराव की समस्या यहां खड़ी रहती है। मच्छरजनित बीमारियां भी फैलने की संभावना रहता है। इसके बाद भी न तो फागिंग के लिए कोई ध्यान दे रहा है न ही जलभराव की समस्या की ओर ही कोई ध्यान दे रहा है। ऐसे में मुहल्लावासी बेबस नजर आ रहे हैं।