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चुनावी चौपाल : महिलाओं ने जताई इच्छा, सुधरे शिक्षा और उनकी सुरक्षा

महिला शिक्षा व सुरक्षा को लेकर कुछ ने सरकार के कदम को सराहा तो कुछ ने कोसा। कहा कि हमें आरक्षण नहीं बराबरी का हक चाहिए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 04:21 PM (IST)
चुनावी चौपाल : महिलाओं ने जताई इच्छा, सुधरे शिक्षा और उनकी सुरक्षा
चुनावी चौपाल : महिलाओं ने जताई इच्छा, सुधरे शिक्षा और उनकी सुरक्षा

बहराइच, जेएनएन।  यह एक निर्विवाद सत्य है कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र या समाज की प्राण वायु है। उसकी प्रेरणा है। उसकी ऊर्जा है और किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके द्वारा हासिल किए गए शैक्षिक स्तर पर ही निर्भर करता है। शायद इसीलिए यडमंड बर्क लिखते हैं कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी सुरक्षा उसकी शिक्षा है। हमारे जिले में यह बात और भी प्रासंगिक हो जाती है। आजादी के बाद से 16 लोकसभा चुनाव हो गए।

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17वीं लोकसभा चुनाव सामने है, लेकिन किसी भी दल ने बेरोजगारी और कुपोषण जैसी समस्याओं के अलावा शिक्षा को मुद्दा नहीं बनाया, जबकि यहां कुल साक्षरता दर 49.34 फीसद है। पुरुष साक्षरता दर 58.34 व महिलाओं की साक्षरता दर 39.18 फीसद है। शहर के चुंगी नाका पर दैनिक जागरण की ओर से महिलाओं की शिक्षा व सुरक्षा को लेकर चौपाल का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

बेटियों की शिक्षा बेहद जरूरी है। इससे पिछड़ापन तो दूर होता ही है साथ ही इन्हें आत्म निर्भर बनने में भी मदद मिलती है। सरकार को चाहिए कि हर गांव में बेटियों की पढ़ाई के लिए अलग से स्कूल खोले जाएं। इसके अलावा महिलाओं की 24 घंटे सुरक्षा के व्यापक प्रबंध की जरूरत है। डॉ.सुगुणा वर्मा 

इतिहास गवाह है कि जिस तरह महाभारत में द्रौपदी के चीरहरण के दौरान दुर्योधन, दुशासन का जो हाल हुआ था उसी तरह सरकार को नारी सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है।महिला के साथ होने वाली घटनाओं में त्वरित कार्रवाई से अपराधियों का मनोबल गिरेगा। छवि रायतानी, प्रबंधक गुरू कृपा डिवाइन ग्रेस पब्लिक स्कूल  

आरक्षण की वजह से तमाम बेटियां पढ़-लिखकर बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पातीं, इसलिए आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए। तमाम छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में इसी वजह से पीछे रह जाती हैं। दिव्यांशी शर्मा 

बालिकाओं की परिवार की ओर से हौसला अफजाई की जरूरत है। इनके मनोबल को बढ़ाकर आगे बढ़ने में मदद करनी होगी। लड़कियों को दबाएं नहीं, बल्कि उभरने का अवसर दें। सरकार को चाहिए कि बालिकाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। डॉ.सारिका साहू 

महिलाओं को सबसे पहले खुद सशक्त बनना पड़ेगा। हम मजबूत हैं तो खुद के साथ ही दूसरों की रक्षा भी कर सकते हैं। महिलाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की जरूरत है। जिले में गृह विज्ञान महाविद्यालय खोलने की आवश्यकता है। इसके अलावा बेटियों की इतनी शिक्षा दें कि वह आत्म निर्भर बनने सकें। उन्हें सभी विषयों की शिक्षा भी देनी चाहिए। निशा सिंह 

जिस प्रकार सरकार पोलियो को मिटाने के लिए हर स्तर पर बच्चे न छूटे का प्रयास करती है। इसी प्रकार बेटियां शिक्षा से वंचित न रहें। इसके लिए सरकार व राजनेताओं को कदम उठाने होंगे। बेटियां पढ़ी-लिखी रहेंगी तो उन्हें सुरक्षा की जरूरत नहीं है, बल्कि उनमें खुद आत्मबल आ जाएगा। डॉ.प्रज्ञा त्रिपाठी

हमारी संस्कृति मातृ शक्ति को पूजती है। बच्चियों की सुरक्षा के लिए पहले बाल विवाह की प्रथा शुरू कर दिया था। इसे समाप्त करना होगा। हमें सबसे पहले अपने आचरण में सुधार करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि बेटियों की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध करे। इसके लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है। रीति श्रीवास्तव 

सरकार को हर गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र व एक पुलिस चौकी का निर्माण कराना चाहिए। जिससे महिलाओं व अन्य लोगों के साथ होने वाली घटनाओं पर समय से कार्रवाई हो सके। बेटियों की शिक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था करने की जरूरत है। नेहा शुक्ला

महिलाओं की समस्याओं के निराकरण के व्यापक प्रबंध करने की जरूरत है। शिक्षा सबके लिए जरूरी है। बालिका शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए कम समय में कड़े निर्णय लेकर आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। डॉ.शशि प्रभा त्रिपाठी 

बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए हमे अपने घर से शुरुआत करनी होगी। स्कूल कॉलेजों में पढ़ने के लिए भेजना होगा। बालिकाओं को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो सुरक्षा भी हो सकेगी। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा।  चरनजीत कौर  

सरकार को चाहिए की भ्रूण हत्या पर रोक लगाकर सबसे पहले बच्चे को जन्म लेने का अधिकार सुरक्षित करें। उसके बाद बेटियों की शिक्षा व सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। स्कूलों में बेटियों की पर्याप्त सुरक्षा के प्रबंध करने होंगे। किरन मिश्रा


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