दीपावली में धूम मचाएगी राजस्थानी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां
बहराइच इस बार दीपावली में राजस्थानी मूर्तियां धूम मचाएंगी। बहराइच में तीन माह पहले राजस्थान से आकर कलाकार अपनी हुनर से मूर्तियां बनाकर तैयार करने में जुटे हुए है। जो मूर्तियां तैयार हो चुकी है उन्हें फेरी लगाकर जाकर शहर से गांव तक बेच रहे हैं। राजस्थानी कलाकारी से बनी मूर्तियां दिखते ही अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। राजस्थान के राजसमन जिले के बंवर बचपन में अपने मामा के यहां गए हुए थे। वहां मामा विजयराम मूर्ति बना रहे थे। मूर्ति को बनाते देख उनके मन में आया कि हमें भी मूर्ति बनाना सीख कर कलाकार बनना है। मन में मूर्तिकार बनने का सपना पूरा करने के लिए बंवर गांव में खेतों की मिट्टी से मूर्ति बनाने का प्रयास करना शुरू किए तो आज एक बेहतर मूर्तिकार बन गए। यही नहीं आज यह अपने हुनर से बस्ती फैजाबाद लखीमपुर गोंडा समेत अन्य जिलों में मूर्तियां बनाकर बेचे हैं।
जासं, बहराइच: इस बार दीपावली में राजस्थानी मूर्तियां धूम मचाएंगी। बहराइच में तीन माह पहले राजस्थान से आकर कलाकार अपनी हुनर से मूर्तियां बनाकर तैयार करने में जुटे हुए है। जो मूर्तियां तैयार हो चुकी है, उन्हें फेरी लगाकर जाकर शहर से गांव तक बेच रहे हैं। राजस्थानी कलाकारी से बनी मूर्तियां दिखते ही अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
राजस्थान के राजसमन जिले के बंवर बचपन में अपने मामा के यहां गए हुए थे। वहां मामा विजयराम मूर्ति बना रहे थे। मूर्ति को बनाते देख उनके मन में आया कि हमें भी मूर्ति बनाना सीख कर कलाकार बनना है। मन में मूर्तिकार बनने का सपना पूरा करने के लिए बंवर गांव में खेतों की मिट्टी से मूर्ति बनाने का प्रयास करना शुरू किए तो आज एक बेहतर मूर्तिकार बन गए। यही नहीं आज यह अपने हुनर से बस्ती, फैजाबाद, लखीमपुर, गोंडा समेत अन्य जिलों में मूर्तियां बनाकर बेचे हैं। ज्यादा बनाई जा रही गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा
कारीगर बंवर बताते है कि दीपावली पर्व को देखते हुए गणेश-लक्ष्मी जी की प्रतिमा अधिक बनाई जा रही है। काफी आकर्षक होने के चलते यह मूर्तियांअधिक बिक रही हैं। इसके अलावा राजा-कृष्ण, गमला, तोता व हाथी की भी मूर्तियां बनाई जा रही है। 20 लोग को मिला रोजगार
बंवर बताते है कि मूर्ति बनाने के लिए कम से कम 20 लोगो की जरूरत पड़ती है। अपने परिवार व रिश्तेदार के 20 लोगों को इसमें जोड़ रखा है। जिससे वह भी मेहनत कर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। यही नहीं यह मूर्तियां बेचने वाले भी यहां से थोक में ले जाकर फुटकर में बेचते हैं। जिससे उनके भी परिवार का पालन-पोषण हो रहा है। यह मेरे लिए खुशी की बात है।
यह है मूर्तियों के दाम
शहर से तीन किमी दूर बहराइच-गोंडा हाईवे पर स्थित मैदान में पंडाल लगाकर बंवर मूर्तियां तैयार कर रहे हैं। छोटी मूर्ति 30 रूपये से लेकर 100 रूपये तक है। बड़ी मूर्ति 100 रूपये से लेकर पांच सौ रूपये तक है।