कचरे से आजादी : जनाब बदलें नजरिया, शहर की स्वच्छता का ले संकल्प
इधर-उधर न फेंके कचरा चौराहे पर रखी डस्टबिन का करें प्रयोग निस्तारण में होगी आसानी बेजुबानों के लिए जानलेवा नहीं बनेगा कूड़ा
प्रदीप तिवारी, बहराइच : तहजीब के शहर बहराइच में जिधर नजर दौड़ाओ उधर कूड़ा-कचरा बिखरा मिलेगा। सिर्फ थोड़ा नजरिया बदल डालें तो शहर पर लगा गंदगी का दाग धुल जाएगा और हर तरफ स्वच्छता की झलक दिखेगी। नगर पालिका प्रशासन की ओर से पहल की गई हैं। इस पहल का सारथी बनकर अगस्त क्रांति के मौके पर शहर को कचरे से आजादी का आओ हम सब संकल्प लें। शहरी क्षेत्र की बात करें तो 31 वार्ड हैं। इन वार्डों में लगभग पांच लाख आबादी निवास करती है। हर रोज घरों से सूखा व गीला कचरा 60 से 70 टन निकल रहा है। यह कूड़ा भोर होते ही शहर के मुख्य चौराहों, गलियों या फिर घरों के सामने बिखरा दिखेगा। इससे सिर्फ दुर्गंध ही नहीं उठती, बल्कि अक्सर बेजुबान पेट की भूख मिटाने के लिए कूड़े में मुंह मारते देखे जा सकते हैं। यह शहर के लिए बदनुमा दाग तो है ही, स्वच्छता को लेकर लोगों के बदले नजरिए का भी द्योतक है। समय रहते नजरिया बदला नहीं तो स्थिति भयावह होगी। हालांकि समय के साथ घरों में कचरा रखने के लिए डस्टबिन का प्रयोग हो रहा है, लेकिन कुछ लोग अब भी कूड़ा-कचरा सड़कों या फिर चौराहों पर ही डाल रहे हैं। यह हाल तब है, जब नगर पालिका प्रशासन की ओर से दो तरह के डस्टबिन रखे गए हैं। मेडिकल कॉलेज के चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश जिदल बताते हैं कि इस गंदगी से चर्म रोग फैलता है और दमा सहित कई तरह की बीमारियां। टीबी की मुख्य वजह इस तरह का प्रदूषण है। सीवीओ डॉ. बलवंत सिंह बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में 15 फीसदी मवेशियों की मौत की वजह कचरे में फेंकी गई पन्नी होती है। लिहाजा सुधर जाएं तो गंदगी दूर हो और तहजीब के साथ शहर की आबोहवा भी स्वच्छ हो जाए।
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50 स्थानों पर दो तरह के रखे हैं डस्टबिन -ईओ नगर पालिका पवन कुमार बताते हैं कि शहर में 50 स्थानों पर दो तरह के डस्टबिन रखे गए हैं। हरे डस्टबिन में गीला कचरा व नीले डस्टबिन में सूखा कचरा डालना चाहिए।