जज्बे और हौसले से हारी लाचारी, लोकतंत्र की आस्था जीती
उत्साह से लबरेज रहे दिव्यांग असहाय बुजुर्ग व अशक्त मतदाता चित्र परिचय - 21 बीआरएच 23 26 27 2
विजय द्विवेदी, बहराइच : जज्बे और हौसले के आगे लाचारी हार गई और लोकतंत्र की आस्था जीत गई। दिव्यांग, असहाय, अशक्त व बुजुर्ग मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के मेले में भाग लिया। उत्साह से लबरेज इन मतदाताओं का उल्लास देखते ही बनता था। सुबह सात बजे से ही कोई अपने परिवारजनों के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचा तो कोई ठेलिया तो कोई व्हील चेयर या बैशाखी के सहारे वोट डालने के लिए मतदान केंद्रों की ओर आता दिखाई दिया। यह तस्वीर सोमवार को बलहा विधानसभा के उपचुनाव में मतदान के दौरान पोलिग बूथों पर दिखी।
नदी-नालों व वनों से आच्छादित बलहा विधानसभा के उपचुनाव में बुजुर्ग मतदाताओं का उत्साह देखते ही बनता था। रमपुरवा मटेही पोलिग बूथ पर क्षेत्र के सबसे बुजुर्ग हरिहरपुर लालपुर के रहने वाले 106 वर्षीय हर्षा सिंह अपने पौत्र मीतपाल सिंह के कंधे पर बैठकर लगभग चार किमी दूरी का सफर तय करके मतदान के लिए आए थे। वर्ष 1913 में जन्में हर्षा सिंह को मतदान केंद्र पर देखकर प्रभारी निरीक्षक रामसिंह ने उन्हें पोलिग बूथ तक पहुंचाने में सहारा बने। घोसियाना चहलवा के 104 वर्षीय मुहम्मद अली अपने भांजे शानू अहमद के साथ वोट डालने के लिए आंबा विशुनापुर बूथ पर आए थे। 90 वर्षीय थारू जनजाति की महिला विष्णु कुमारी की लोकतंत्र पर आस्था इतनी भारी थी कि वह अपने परिवारजनों के साथ पैदल ही चलकर बूथ पर पहुंची और वोट डाला। पारसपुरवा सुजौली की 90 वर्षीय फूलमती सुजौली पोलिग बूथ पर वोट डालकर बाहर निकलीं और स्याही का निशान दिखाते हुए बोलीं कि हमें आज नेता चुनने का मौका मिला है, उसे क्यों छोड़ें। सुजौली के 80 वर्षीय शिवसरन के जज्बे को सलाम करना चाहिए। उन्होंने भी पोलिग बूथ पर पहुंचकर मतदान किया। वक्त के तमाम थपेड़ों को जूझने के बावजूद लोकतंत्र को मजबूत करने का ऐसा जज्बा लोगों में उत्साह भर गया।