अटल जी की स्मृति पर विशेष
1962 में पहली बार आए थे बहराइच वर्ष 2004 उनकी थी बहराइच की अंतिम यात्रा
प्रदीप तिवारी, बहराइच : भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री व राजनीति के अजातशत्रु के रूप में विख्यात रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का बहराइच से आत्मीय लगाव था। 1971 में शाही घंटाघर पर भाषण देते ही बिजली गुल हो गई, तब अटल जी ने भरे मंच से कहा था कि अब जनसंघ के दीपक से बहराइच प्रकाशमान होगा।
कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा बताते हैं कि पहली बार जब वे बलरामपुर से चुनाव मैदान में उतरे तो उन्हें वहां चुनावी पर्ची बांटने का काम दिया गया। तब वे पहली बार उनसे मिले थे। 1971 में भी वे बहराइच आए थे। शाही घंटाघर पर शाम ढल रही थी, कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा थी। अटल जी जैसे ही मंच पर पहुंचे, भारत माता के जयकारों से परिसर गूंज उठा। अटल जी भाषण शुरू करते कि बिजली गुल हो गई। लगभग आधे घंटे तक अंधेरा छाया रहा। बिजली आई तो पहला शब्द उनका यही था कि बहराइच का अंधेरा छंटने वाला है। जनसंघ के दीपक से तराई एक दिन जरूर जगमग होगी। पयागपुर विधायक सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि उनका बहराइच की धरती से हमेशा लगाव था। अंतिम बार उन्होंने 2004 में पदमसेन चौधरी के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया था। ------------ ..और टाट-पट्टी पर बैठकर किया भोजन - पूर्व विधायक जटाशंकर सिंह के आवास पर भोजन की व्यवस्था की गई थी। इसमें अटल जी के लिए अलग व कार्यकर्ताओं के लिए अलग तरीके से व्यंजन बनाए गए थे। जब इसकी जानकारी उन्हें हुई तो उन्होंने सबसे पहले टाट-पट्टी पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता सर्वोपरि हैं। उन्हीं के साथ भोजन किया। -------------- मंच देख बोले थे 'मैं प्रधानमंत्री बनूंगा' - 1996 में महाराज सिंह इंटर कॉलेज में लाल किले की प्राचीर के रूप में मंच तैयार किया गया था। इस मंच को देखकर उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था कि अब शायद उन्हें लाल किले पर भाषण देने का मौका मिल जाएगा। चुनाव में भाजपा की जीत के बाद उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया था।
::::
क्त्रद्गश्चश्रह्मह्लद्गह्म ष्ठद्गह्लड्डद्बद्यह्य : 9999