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आवास के नाम पर गांवों में शुरू हुआ कमीशन का खेल

गरीब परिवारों को सपने दिखा कर रहे वसूली पैसे न जमा करने पर सूची से नाम कटने की आशंका

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:09 AM (IST)
आवास के नाम पर गांवों में शुरू हुआ कमीशन का खेल
आवास के नाम पर गांवों में शुरू हुआ कमीशन का खेल

भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : पंचायत चुनाव से ठीक पहले गांवों में प्रधानमंत्री आवास के नाम पर खेल शुरू हो गया है। इससे गांवों की राजनीति भी गर्म हो गई है। पात्रता निर्धारित करने के बदले कमीशन मांगा जा रहा है। पैसे न देने पर अपात्र दर्शाते हुए सूची से नाम कटने की आशंका जताई जा रही है। गरीब परिवार अपना आवास बचाने के लिए सिफारिश करवा रहे हैं। ग्राम प्रधान पक्ष वोट के लिए आवास को मजबूत राजनैतिक हथियार मान रहा है तो विपक्ष इस पर अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहा है।

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भारत सरकार की ओर से आवास एप के माध्यम से दो वर्ष पूर्व गरीब परिवारों से आवेदन लिए गए थे। इस दौरान कुल 44 हजार 928 लोगों के आवेदन हुए। आवेदन की यह प्रक्रिया कब शुरू होकर समाप्त हो गई इसके बारे में अधिकांश लोगों को जानकारी ही नहीं है। पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी होने के बाद संभावित उम्मीदवार ताल ठोंक रहे हैं। इसी दौरान आवास के लिए हुए आवेदनों के सत्यापन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ग्राम पंचायत अधिकारी, पंचायत मित्र व ग्राम प्रधान की टीम गांव-गांव में इस सूची का सत्यापन करवा रही है। आवेदकों की पात्रता जांची जा रही है। लोगों को बहुत जल्दी पक्का मकान देने का भरोसा दिया जा रहा है। टीम जांच कर आगे बढ़ती है तो पीछे से सूची में नाम कटने से बचाने का उपाय बताने वाले लोग पहुंच जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आवास के बदले 10 से 25 हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं। जांच में ग्राम प्रधान अपने खेमे के अपात्रों को भी पात्र दर्शा रहे हैं, जबकि कई ऐसे लोग जो आवास की अर्हता रखते हुए भी सिर्फ इसलिए अपात्र किए जा रहे हैं, क्योंकि वे ग्राम प्रधान के खेमे में फिट नहीं बैठते हैं। इनसेट

कैसे कर रहे खेल

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई लोगों का घर में एक से अधिक स्थान पर बना है। परिवार पक्के मकान में रहता है। फूस का घर मवेशियों के लिए बना है। आवास की पात्रता दर्शाने के लिए परिवार के एक सदस्य को फूस के घर में शिफ्ट कर दिया जाता है। यहां चूल्हा रखकर वे भोजन भी पकाने लगते हैं। जांच हो जाने के बाद फिर पुराने घर पर ही रहने लगते हैं। ग्राम प्रधान अपने खेमे के लोगों को इसी तरह लाभांवित कर रहे हैं। क्या है पात्रता

डीडीओ विनय कुमार तिवारी ने बताया कि गांवों में ऐसे गरीब परिवार जो मिट्टी की दीवार पर फूस, खपरैल अथवा टीन शेड रखकर जीवन यापन कर रहे हैं। वे प्रधानमंत्री आवास के लिए पात्र हैं। टीम इसी की जांच कर रही है। फर्जीवाड़ा अथवा वसूली की शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी। अभी सिर्फ सूची का सत्यान हो रहा है। आवास कब तक मिलेगा। इसका कोई समय तय नहीं है।

आवास के आवेदनों का ब्लॉकवार विवरण

ब्लॉक का नाम आवेदनों की


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