ऐसी लागी लगन.. पौधों को समर्पित हो गया तन-मन
वृक्षाभूषण के लिए पौधरोपण शौक के साथ ले रहा परंपरा का रूप जन्मदिन हो या फिर मांगलिक कार्यक्रम तोहफे में भेंट कर रहे पौध
प्रदीप तिवारी, बहराइच : प्रकृति प्रेमियों का पौधारोपण सिर्फ शौक नहीं, बल्कि कई ऐसे लोग हैं, जिनका जीवन पौधों के लिए ही समर्पित हो चुका है। ये सरकारी तंत्र से दूर हरियाली लाने के लिए जुटे हैं। खुद के खर्च से दूसरों को पौधा दानकर वृक्षाभूषण की मुहिम को धरातल पर उतारने की कोशिश में तल्लीन हैं। प्रकृति प्रेमियों का प्रयास का नतीजा है कि अब शादी, जन्मदिन या फिर कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो तो पौधारोपण से श्रीगणेश होता है। यहां सैकड़ों लोग ऐसे हैं, जो हर वर्ष 25 से 50 पौधा तक रोपते हैं। इसी का नतीजा है कि जिले में पौधरोपण की मुहिम अब एक नई परंपरा रूप ले चुकी है। डीएफओ मनीष सिंह बताते हैं कि हर व्यक्ति को कम से कम 10 पौधे लगाने चाहिए। यह पौधे उनके औसत जीवन के ऑक्सीजन के लिए होता है, लेकिन फल व औषधि के लिए 25 पौध रोपित करना चाहिए। पर्यावरण के प्रति अगाध प्रेम
-खेती-बाड़ी के साथ बाग लगाना मिहींपुरवा के मनीष सिंह का शौक है। आम, आंवला, नीबू के अलावा सभी प्रकार के औषधीय पौधे इनके बाग व घर के गमले में मिलेंगे। सुबह व शाम पौधों की सेवा में लगाते हैं।
ग्राहक को भेंट करते पौध
-फखरपुर में तैनात पेशे से बैंक अधिकारी विजयशंकर दीक्षित समाजसेवा के लिए भी जाने जाते हैं। बैंक में पहली बार खाता खोलवाने वाले ग्राहकों को वे पौधा देकर उसके संरक्षण का संकल्प भी दिलाते हैं।
गांव-गांव कर रहे जागरूक
-गांव-गांव भ्रमण कर शहर के डिगिहा के रामकुमार पौधारोपण से होने वाले फायदे के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं। जरूरत होने पर वे लोगों को अपने खर्चे से पौधा भी उपलब्ध कराते हैं।
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पौधों को पानी देना नहीं भूलते -जिला विपणन अधिकारी संजीव कुमार सिंह बताते हैं कि पौध लगाना बचपन से ही उनके जीवन का हिस्सा रहा है। सुबह उठकर वे सबसे पहले गमले में लगे पौधों को पानी देने के बाद ही कोई काम करते हैं। इससे शकून मिलता है। घर में हरियाली से खुशहाली बनी रहती है।