हत्यारे पति को दस वर्ष की सजा
मुकदमे में मृतका की सास शाहजहां व ननद मीना को भी नामजद किया गया था। पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट अदालत में दाखिल की। मामले में आठ गवाहों को परीक्षित कराया गया तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।
बहराइच, जागरण टीम: अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम मनोज कुमार मिश्र द्वितीय ने दहेज हत्या के आरोपित पति को दोषी ठहराते हुए दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसी मामले में सास व ननद को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया है। जिला शासकीय अधिवक्ता अपराध मुन्नू लाल मिश्र ने मामले की पैरवी की। उन्होंने बताया कि घटना आठ फरवरी 2019 की है। वादी शमीम उर्फ मुन्ना ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी साली शफीकुननिशा की शादी रिजवान के साथ करीब तीन साल पहले हुई थी। दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। पांच लाख रुपये की मांग की जा रही थी। उसकी हत्या कर घर में शव को लटका दिया गया था।
मुकदमे में मृतका की सास शाहजहां व ननद मीना को भी नामजद किया गया था। पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट अदालत में दाखिल की। मामले में आठ गवाहों को परीक्षित कराया गया तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। मंगलवार को अभियोजन व बचाव पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपित रिसिया के शेखापुरवा निवासी रिजवान को दहेज हत्या का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। दोषी को सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अशोक कुमार गिरि ने मामले की पैरवी की। बताया कि कैसरगंज के धनवलिया निवासी मुन्ने ने 17 मई 2012 को अपने गांव के लाल बहादुर, जीत सिंह व बेचन के खिलाफ गाजी गलौज व जानमाल की धमकी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में अदालत ने तीनों लोगों को दोषी ठहराया और एक वर्ष परिवीक्षा पर रहने की सजा दी। इस दौरान आरोपित जिला प्रोबेशन अधिकारी के कार्यालय में प्रत्येक माह के दूसरे सप्ताह में उपस्थित होंगे। परिवीक्षा अवधि के दौरान शांति व सद्भाव बनाए रखेंगे। कोई अपराध कारित नहीं करेंगे। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें तलब कर कठोर दंड दिया जाएगा।