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दशलक्षण पर्व में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का किया पालन

जैन श्रद्धालुओं ने अनंत चतुर्दशी का पर्व सादगीपूर्वक व्रत और पूजन कर मनाया। इसी के साथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री 1008 वासुपूज्य भगवान का मोक्षकल्याणक धर्म प्रभावना के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 11:48 PM (IST)
दशलक्षण पर्व में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का किया पालन
दशलक्षण पर्व में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का किया पालन

बागपत, जेएनएन। जैन श्रद्धालुओं ने अनंत चतुर्दशी का पर्व सादगीपूर्वक व्रत और पूजन कर मनाया। इसी के साथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री 1008 वासुपूज्य भगवान का मोक्षकल्याणक धर्म प्रभावना के साथ मनाया गया।

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मंगलवार को जिनालयों में शासन की गाइड लाइन के मुताबिक पूजन-अर्चन किया गया। श्रद्धालुओं ने घरों में अनंत चतुर्दशी पर निर्जल व्रत रखकर भगवान वासुपूज्य की आराधना की। इस दौरान कुछ श्रद्धालुओं ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा, जो सोमवार सूर्य अस्त होने के बाद शुरू हुआ। मीडिया प्रभारी आदिश जैन ने बताया कि व्रत पारायण बुधवार सुबह सूर्योदय के साथ किया जाएगा।

भगवान को समर्पित की

थाली और निर्वाण लाडू

श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर कमेटी के तत्वावधान में जैन श्रद्धालुओं ने अनंत चतुर्दशी महापर्व धूमधाम से मनाया। सुबह से ही श्री अजितनाथ दिगंबर जैन मंदिर में थाली चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। प्रशासन के निर्देशानुसार शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मंदिर कमेटी ने श्रद्धालुओं से क्रमानुसार जिनेंद्र भगवान का अभिषेक कराया तथा थालियां चढ़ाईं।

मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि आज जैन तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याण है। श्रद्धालुओं ने वासुपूज्य भगवान व अनंतनाथ भगवान की पूजा की तथा उनके चरणों में निर्वाण लाडू समर्पित किया। मंदिर के अध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री मुकेश जैन, प्रदीप जैन, वरदान जैन, शशि जैन, सतीश जैन, अंकुर जैन, वकील चंद जैन, संजय जैन, जयपाल जैन, प्रेमंचद जैन, पंकज जैन, विपिन जैन, सचिन जैन आदि मौजूद रहे। आज नहीं होगा रथयात्रा

महोत्सव का आयोजन

मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि हर साल होने वाली श्री जी की विशाल स्वर्ण गजरथयात्रा को इस साल कोविड-19 के कारण रद कर दिया गया है। दो सितंबर को न तो रथ यात्रा निकाली जाएगी और नही पांडुकशिला मैदान में मेले का आयोजन किया जाएगा। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

को किया अंगीकार

पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के दसवें दिन अनुयायियों ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को अंगीकार किया। दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में श्री जी का प्रक्षालन, शांतिधारा व अभिषेक किया गया। इसके बाद तेरह द्वीप की पूजा करने के बाद अ‌र्घ्य चढ़ाए गए। इसमें प्रवीण जैन, अतुल जैन, सुनील जैन, आलोक जैन मौजूद रहे। नेहरू रोड पर श्री पा‌र्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण धर्म की पांच पूजा सहित पिछले 10 दिनों में कुल 62 पूजाएं संपन्न कराई गईं। इसमें सतेंद्र जैन, अनिल जैन, सुशील जैन, आदिश जैन शामिल हुए। आज का धर्म उत्तम ब्रह्मचर्य

व्यख्यान वाचस्पति पंडित डॉ. श्रेयांश जैन ने बताया कि ब्रह्मचर्य व्रत ही तीनों लोकों में प्रशंसनीय है, जो कि विशुद्धि को प्राप्त हुए पूज्य पुरुषों के द्वारा भी पूजा जाता है। कोमल शय्या, नवीन वस्त्र, पान, स्नान, मंडन, काष्ठ की दातून, सुगंधित तेल ये ब्रह्मचर्य के दूषण हैं। वीतराग जिनेंद्र भगवान ने कहा है कि बच्चे को सुसंस्कारयुक्त और चरित्रनिष्ठ बनाने के लिए माता-पिता का जीवन संस्कारित होना जरूरी है। माता-पिता के जीवन का प्रभाव बच्चे पर पड़े बिना नहीं रहता। परिस्थिति कैसी भी हो, मन:स्थिति सही होनी चाहिए। संतुलित मन: स्थिति हर परिस्थिति से उबार लेती है। मानसिक ब्रह्मचर्य की साधना बहुत बड़ी साधना मानी जाती है। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के पालने वाले को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति अवश्य होती है। पर्युषण पर्व के महान अवसर पर दस धर्मों को अपनाकर, उनका पालन करके अपने जीवन का उद्धार करने वाले निर्वाण को प्राप्त करते हैं।


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