दावों में नहीं दम, कोसों नाप रहे कामगार
सरकार भले ही दावें कर रही हो कि कामगारों को बस और ट्रेनों से उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है लेकिन सड़कों पर कामगारों को परिवार के साथ चलते देखकर यह दावे कोरे कागजी नजर आते हैं।
बागपत, जेएनएन। सरकार भले ही दावें कर रही हो कि कामगारों को बस और ट्रेनों से उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन सड़कों पर कामगारों को परिवार के साथ चलते देखकर यह दावे कोरे कागजी नजर आते हैं। सवाल यह है कि सड़कों पर बच्चों के साथ पैदल और साइकिलों पर चलते वक्त इनके साथ कोई हादसा हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? कामगारों का आरोप है कि वे लगातार प्रशासन से संपर्क कर अपने घरों तक छोड़ने की मांग करते रहे हैं, लेकिन सुनवाई न होने के बाद उन्हें साइकिल और पैदल ही अपने घरों तक पहुंचने को मजबूर होना पड़ रहा है। बावली से सीतापुर और सिवान जाएंगे कामगार
बिहार के सिवान जनपद के रहने वाले जितेंद्र ने बताया कि वह कई माह से बावली गांव के पास केंद्रीय विद्यालय के निर्माण में कार्य कर रहे थे। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। ठेकेदार ने उनकी मजदूरी नहीं दी और ऊपर से खानपान की व्यवस्था भी नहीं हो रही है। प्रशासन से कई बार संपर्क किया कि उन्हें उनके जनपद तक छुड़वा दिया जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ, जिसके बाद मजदूर होकर उन्हें अपने जनपद में जाने के लिए साइकिलों पर ही चलना पड़ा। उनके साथ ही सीतापुर जनपद के रहने वाले दो परिवार के सदस्य हैं। चंड़ीगढ़ से छह दिन में पहुंचे बड़ौत
हरदोई जनपद के रहने वाले भगवानदीन ने बताया कि वह चंडीगढ़ में एक फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया, जिसके बाद वह छह दिन पहले अपनी पत्नी पिकी समेत परिवार के सात सदस्यों के साथ साइकिल पर चंडीगढ़ से चले थे। उन्हें हरदोई जाने के लिए कई दिन का समय और लगेगा। चंडीगढ़ से यहां तक आने के लिए उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ी है। कई स्थानों पर बारिश के कारण परेशानी हुई है।