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दो माह पूरे, ठंडे बस्ते में पुलिस कार्रवाई

कानपुर कांड के बाद तो पुलिस बदमाशों के पीछे पड़ी हुई है। बागपत में भी पुलिस ने बदमाशों पर शिकंजा कसा है लेकिन बासौली गांव में एक जून को हुई तीन हत्याओं के मुकदमे में पुलिस ने कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल रखा है। दो माह से पुलिस दबिश ही दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 06:11 AM (IST)
दो माह पूरे, ठंडे बस्ते में पुलिस कार्रवाई
दो माह पूरे, ठंडे बस्ते में पुलिस कार्रवाई

बागपत, जेएनएन। कानपुर कांड के बाद तो पुलिस बदमाशों के पीछे पड़ी हुई है। बागपत में भी पुलिस ने बदमाशों पर शिकंजा कसा है, लेकिन बासौली गांव में एक जून को हुई तीन हत्याओं के मुकदमे में पुलिस ने कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल रखा है। दो माह से पुलिस दबिश ही दे रही है। हाथ कोई आरोपित नहीं आया।

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लखनऊ तक मची थी सनसनी

एक जून को दो दर्जन से ज्यादा हमलावरों ने बासौली गांव में भाजपा नेता पदम कश्यप के बेटे शेखर कश्यप की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात के बाद हमलावर भाग रहे थे तो लोगों ने दो हमलावरों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद दोनों ओर से लगभग 58 आरोपितों के खिलाफ रमाला थाने में मुकदमे दर्ज हुए थे। घटना के बाद लखनऊ तक सनसनी मची थी। सीओ आलोक सिंह ने बताया कि आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

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दबाव है या समझौते का प्रयास

बासौली कांड को अब दो सवाल उठ रहे हैं? पहला यह कि क्या इस घटना में पुलिस पर आरोपितों की गिरफ्तारी न करने का दबाव है या फिर दोनों पक्षों के बीच समझौते कराने के प्रयास हो रहे हैं।


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