दिल से देते दुआ, हाथों से पौधे की भेंट
शादी या अन्य आयोजन में हम ससम्मान बुलावे पर ही पहुंचते हैं लेकिन इनके लिए बुलावे पर पौधे देते हैं।
बागपत, जेएनएन। शादी या अन्य आयोजन में हम ससम्मान बुलावे पर ही पहुंचते हैं, लेकिन इनके लिए बुलावे की कोई अहमियत नहीं। सिर्फ, आयोजन की भनक लगने की देर है, ये पहुंचने में देर नहीं करते। शादी-ब्याह में नव दंपती को और अन्य कार्यक्रम में मेजबान को शुभकामना के साथ एक पौधे की भेंट। दुआ यह कि पेड़-पौधों की तरह आपका जीवन पल्लवित हो और आपकी जिंदगी की तरह ये पौधा भी लंबी जीवन यात्रा करे। दरअसल, ये कहानी है छपरौली निवासी पर्यावरण प्रहरी सुरेंद्र तुगाना और आरआरडी उपाध्याय की। ये पौधे आज पेड़ बनकर छांव, फल और प्राणवायु दे रहे हैं। इस अभियान से सैकड़ों लोग जुड़ चुके हैं।
बराती-घरातियों को करते जागरूक
आरआरडी उपाध्याय जिले में विभिन्न स्थानों पर करीब 20 हजार फलदार, छायादार पौधे लगा चुके हैं। 400 शादियों में नवदंपती को पौधे भेंट कर चुके। बराती-घरातियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। गाड़ी में भी पौधे लेकर चलते हैं। वहीं, सुरेंद्र तुगाना पौधारोपण अभियान चलाकर लगभग दो लाख पौधे रोप चुके हैं, जिनमें सवा लाख पौधे पेड़ बन गए हैं।
रोजाना रोपते हैं एक पेड़
एसपीआरसी कॉलेज के भूगोल प्रवक्ता बड़ौत निवासी डा. अरविद वर्मा ने छह अगस्त-2013 को अपने पुत्र के जन्म पर एक साल में 365 पौधे रोपने का संकल्प लिया था। इसे वे आज तक पूरा कर रहे हैं। पिता-पुत्र मिलकर खाली मैदान, स्कूल और कॉलेज की भूमि, सड़क किनारे पौधारोपण करते हैं।
एक पेड़ से सालाना 100-200 किलो ऑक्सीजन : जनता वैदिक कॉलेज बड़ौत में वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता डॉ. मनोज शर्मा बताते हैं कि आम, नीम, अमरूद, शीशम, जामुन, बरगद, पीपल, अर्जुन, कड़ीपत्ता, शहतूत, बांस तथा इंडोर प्लांट में लिली, मनी प्लांट, पाम, कॉटन, कैक्टस अधिक आक्सीजन देते हैं। एक पेड़ औसतन प्रतिवर्ष 100-200 किलो ऑक्सीजन देता है। मनुष्य को एक वर्ष में 500-700 किलो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। यह जरूरत लगभग चार पेड़ों से पूरी हो जाती है।
गिफ्ट मिले पौधे बन चुके पेड़
तुगाना निवासी सुभाष ने बताया कि 2007 में शादी में एक वट का पौधा पर्यावरण प्रहरियों से गिफ्ट मिला था, जो आज पेड़ बनकर छांव दे रहा है। ग्राम रठौड़ा निवासी पूर्व फौजी जयवीर सिंह कहते हैं-उनके पुत्र शैलेंद्र की शादी फरवरी-2020 में हुई। इस दौरान तीन लीची, जामुन और छायादार वृक्ष गिफ्ट में मिले, जो वृद्धि कर रहे हैं। ढिकौली निवासी विनय आर्य ने बताया कि 2016 में शादी में अमरूद व टिकौमा के पौधे मिले थे, जो आज पेड़ बन चुके हैं।