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कड़ुवा हुआ किसानों का मीठा गन्ना

किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। कहीं क्रय केंद्र नहीं चले तो कहीं पर्चियों का रोना। बाकी कसर गन्ना सर्वे का ब्योरा उल्टा सीधा दर्ज होने से पूरी हो रही है। चीनी मिलें चलीं हैं लेकिन फुल स्पीड बाकी है। ि

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 08:49 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:34 AM (IST)
कड़ुवा हुआ किसानों का मीठा गन्ना
कड़ुवा हुआ किसानों का मीठा गन्ना

बागपत, जेएनएन। किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। कहीं क्रय केंद्र नहीं चले तो कहीं पर्चियों का रोना रहा। बाकी कसर गन्ना सर्वे का ब्योरा उल्टा सीधा दर्ज होने से पूरी हो रही है। चीनी मिलें चलीं हैं, लेकिन फुल स्पीड बाकी है। किसान सुबह घर से निकलकर कभी चीनी मिल तो कभी गन्ना दफ्तर में धक्के खाकर शाम को मायूस हो घर लौट आते हैं। जानिए सिस्टम की नाकामी किसानों की जुबानी..।

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चीनी मिल बागपत के यार्ड में गन्ना लदी बोगी पर बैठे निरोजपुर के अनिल कुमार, राजेंद्र सिंह तथ यशपाल बोले कि कहने को चीनी मिल 31 अक्टूबर को चली पर गन्ना पेराई ने आज तक रफ्तार नहीं पकड़ी। धीमी गन्ना तौल इंतजार करा रही है। बीच में बात काटते हुए रामा बोले कि गन्ना तौल तब रफ्तार पकड़ती न.जब चीनी मिल समय से चलती। समय से गन्ना तौल नहीं होने से पर्चियों की तारीख बदलवानी पड़ रही हैं।

सहकारी गन्ना विकास समिति बागपत में दो घंटे से लाइन में लगे काठा के महक सिंह बोले कि कुछ मत पूछिए..बीस बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन सुनवाई ही नहीं हो रही है। उनकी 24 बीघा गन्ना पेडी को पौधा तथा आठ बीघा पौधे को पेड़ी दर्शा दिया जिससे चीनी मिल मिल में गन्ना आपूर्ति पर्ची नहीं मिल रही है। पौधा गन्ना पर्ची बाद में मिलती हैं। डौला के राजेंद्र सिंह की शिकायत है कि एप पर जब अपना गन्ना ब्योरा देखा तो कम गन्ना दर्ज है जिसे सही कराने के लिए लाइन में लगे हैं।

खेड़ा इस्लामपुर के सतनारायण ने बताया कि अप्रैल में पिता फेरू सिंह का निधन हो गया। उनके बांड की 525 कुंतल गन्ना आपूर्ति को हम दो भाइयों के नाम पर दर्ज नहीं की जा रही है। दो माह से कभी डीसीओ दफ्तर तो कभी गन्ना समति दफ्तर और तहसील में चक्कर लगा रहे है, लेकिन समस्या का निस्तारण ही नहीं हो रहा है। नैथला के रमेश चींखने कें अंदाज में बोले कि पता ही नहीं चल रहा चीनी मिल का क्या सिस्टम है? आठवें राउंड की पर्ची मिल गईं लेकिन तीसरे और चौथे राउंड की पर्चियां नहीं मिली। ये बीच की गन्ना पर्चियां कहां गई? कोई बताने को ही तैयार नहीं है।

खेकड़ा के रामकुमार गुस्से से लाल पीला होते हुए रामकुमार बताने लगे कि गन्ना सर्वे का कच्चा कैलेंडर भी मिल गया लेकिन गन्ना पर्ची नहीं मिलने पर पता किया तो जवाब मिला कि तुम्हारा गन्ना बांड बंद हैं। सुन्हैड़ा के सतबीर के पिता ईश्वर की की कई माह पहले मृत्यु हो चुकी है लेकिन उनकी 511 कुंतल गन्ना सप्लाई हमारे नाम दर्ज नहीं की गई। हजूराबादगढ़ी के ईश्वर छूटते ही बोले कुछ मत पूछिए..पौधा गन्ना को पेड़ी और पेड़ी को पौधा दर्ज कर रखा जिसे ठीक कराने को दस बार आ चुके हैं। इधर, गलत गन्ना ब्योरा सही नहीं हो रहा तो उधर ब्रजनाथपुर चीनी मिल ने हजूराबादगढ़ी में क्रय केंद्र चालू कर गन्ना खरीद ही श़ुरू नहीं की है। यह महज बानगी है वरना सिस्टम से आहत पीड़ित किसानों की कमी नहीं है।


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