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भूले नहीं हैं शहादत, आज भी करते हैं गर्व

कारगिल विजय दिवस पर आज शहीदों का याद किया जाएगा। जिले के आठ फौजी कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 12:02 AM (IST)
भूले नहीं हैं शहादत, आज भी करते हैं गर्व
भूले नहीं हैं शहादत, आज भी करते हैं गर्व

बागपत,जेएनएन: कारगिल विजय दिवस पर आज शहीदों का याद किया जाएगा। जिले के आठ फौजी कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। इनके परिजन आज भी इनकी शहादत को भूल नहीं हैं। उन्हें इनके बलिदान पर गर्व है। आज भी सीना चौड़ा करते हुए कहते हैं कि देश की सरहदों की रक्षा करने के लिए हमारे लाल ने कुर्बानी दी थी। बस उन्हें इतना ही अफसोस है कि उस दौरान कई वादे किए गए थे, लेकिन वे पूरे नहीं किए गए।

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सूप गांव का रहने वाला देवेंद्र सिंह तोमर कारगिल के युद्ध में छह अफगानी आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के बाद शहीद हो गया था। 29 सितंबर 2001 की रात देवेंद्र अपने साथियों के साथ जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर के मेडर एरिया में पेट्रोलिग की अगुवाई कर रहा था। उसी दौरान देवेंद्र और उसके साथियों का मुकाबला आतंकवादियों से हो गया था। इसमें देवेंद्र शहीद हो गया था। आज भी देवेंद्र की बहादुरी के किस्से सूप गांव में सुनने को मिलते हैं। सरकार भले ही देवेंद्र के परिवार और गांव को भूल गई हो, देवेंद्र परिवार और गांव के लोग आज भी सरकार और देश के साथ सीना तानकर खड़े हुए हैं। वर्ष 1996 में बरेली जाट रेजीमेंट सेंटर में भर्ती हुए शहीद देवेंद्र सिंह का जन्म 20 अप्रैल-2079 को रमाला थाना क्षेत्र के सूप गांव में हुआ था। देवेंद्र के पिता फौज से रिटायर्ड थे, इसलिए वह बेटे को भी सेना में भर्ती कराना चाहते थे। देवेंद्र के पिता सहदेव और भाई सतेंद्र का कहना है कि परिवार देश के लिए आज भी मर मिटने को तैयार हैं।

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जितेंद्र सोलंकी भी

हो गए थे शहीद

बड़ौत: जिवाना गुलियान गांव का रहने वाला जितेंद्र सोलंकी वर्ष 1995 में मेरठ से 17 जाट रेजीमेंट में लांस नायक पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 1999 में पाक सेना और आतंकवादियों ने कारगिल पर कब्जा कर लिया था। उस दौरान कारगिल युद्ध हुआ था। जितेंद्र सोलंकी सात जुलाई 1999 को कारगिल के द्रास सेक्टर में मास्को घाटी में दुश्मन से लोहा लेते समय शहीद हुए थे।


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