चौधरी साहब ने सबसे पहले माफ किया था किसानों का कर्ज
जहीर हसन, बागपत: झोपड़ी से प्रधानमंत्री तक की कुर्सी तक पहुंचे किसान मसीहा स्व. चौधरी चरण्
जहीर हसन, बागपत:
झोपड़ी से प्रधानमंत्री तक की कुर्सी तक पहुंचे किसान मसीहा स्व. चौधरी चरण ¨सह ने देश आजाद कराने को जान की बाजी तक लगा दी थी। उनके खाते में जहां ढेरों उपलब्धियां दर्ज हैं, वहीं कृषि कर्ज माफ करने वाले पहले नेता बने। चाहे पुलिस को वायरलेस और गश्त के लिए पेट्रोल दिलाने की बात हो या फिर वंचितों के उत्थान की योजनाओं को लागू करने का मामला, उनका हर काम सुनहरा इतिहास बन गया।
23 दिसंबर 1902 हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण ¨सह के पिता चौ. मीर ¨सह साधारण किसान तथा मां नेत्रकौर धर्मपरायण महिला थीं। जब चौधरी साहब छह माह के थे, तब पिता के साथ मेरठ के जानीखुर्द के भूपगढ़ी गांव आ गए थे। जानीखुर्द की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा,फिर 1926 में मेरठ कालेज से कानून की डिग्री प्रथम श्रेणी से पास कर गाजियाबाद में वकालत शुरू की, फिर बागपत को कर्मस्थली बनाया और देश को फिरंगियों से आजाद कराने की लड़ाई लड़ते हुए जेल भी गए।
महात्मा गांधी के वर्ष 1942 में 'करो या मरो' के आह्वान पर चौधरी साहब ने बागपत समेत पश्चिम यूपी में क्रांतिकारियों का ऐसा गुप्त संगठन खड़ा किया कि मेरठ के तत्कालीन प्रशासन ने उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया था। बागपत से सियासत शुरू कर साल 1937 में गाजियाबाद से प्रांतीय धारा सभा में चुनकर पहुंचे। उन्होंने 17 मई 1939 को ऋण निवृत्ति बिल संयुक्त प्रांत धारा सभा में पारित करा लाखों किसानों को ऋण मुक्त कराया। जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम लागू कर किसानों को जमीन का मालिक बनाने, किसानों को पटवारी राज से मुक्ति दिलाने, किसानों के बिखरे खेतों को एक चक बनवाने के लिए चकबंदी अधिनियम पारित कराया।
चौधरी साहब ने उपज बढ़ाने को मिट्टी का वैज्ञानिक परीक्षण कराने, कृषि को आयकर के दायरे से बाहर रखने, सहकारी खेती व्यवस्था को लागू नहीं होने देने का काम किया। नहर की पटरियों पर चलने पर जुर्माना लगाने का ब्रिटिश काल का कानून खत्म कराकर किसानों को बड़ी राहत दी। शहरों में कानून व्यवस्था मजबूत बनाने को 1961 में वायरलेस युक्त पुलिस सचल दस्तों की गश्त शुरू कराने, जमीन की जोत बही दिलवाने, शिक्षण संस्थाओं से जातिसूचक शब्दों को हटवाने तथा उर्वरकों की बिक्री से कर खत्म करने, कृषि उपज की अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी रोक हटाने काम किया।
गरीब बेरोजगारों को काम के बदले अनाज तथा वंचित वर्ग के लिए अंत्योदय योजना शुरु कराने का काम किया। बड़ी मिलों में 20 फीसद कपड़ा गरीब जनता के लिए बनाने के लिए हिदायत दी थी। चौधरी साहब ने रिकार्ड 25 हजार गांवों में विद्युतीकरण करवाया। एडवोकेट देवेंद्र आर्य बताते हैं कि चौधरी साहब ने 19 मार्च 1981 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच देने की वकालत की थी। साल 1979 में देवेंद्र आर्य के पांच वर्षीय पुत्र वेदव्रत आर्य ने अपनी गुल्लक के पैसे राष्ट्रीय कोष के लिए दिए तो चौधरी साहब भावुक हो गए। बागपत को विश्व में पहचान दिलाने वाले चौधरी चरण सिंह का 29 मई 1987 को निधन हो गया।