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जाग जाइए जनाब..सो गया है सिस्टम

प्रदूषण की रेटिग में बागपत के छलांग लगाने से लोगों का दम उखड़ने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 08:36 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:36 PM (IST)
जाग जाइए जनाब..सो गया है सिस्टम
जाग जाइए जनाब..सो गया है सिस्टम

बागपत, जेएनएन। प्रदूषण की रेटिग में बागपत के छलांग लगाने से लोगों का दम उखड़ने लगा है। बुधवार की शाम चार बजे बागपत का एयर क्वालिटी इंडेक्स 408 पार करने को बेताब रहा। दिनभर स्मॉग छाया रहा तथा हवा जहरीली हो गई। लोगों की सांसें ही नहीं फूल रही, बल्कि आंखों में जलन और गला चोक होने लगे हैं। गत तीन दिन में सरकारी तथा प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसद बढ़ोतरी हुई। बावजूद इसके सरकारी तंत्र सोया है। प्रदूषण से बचाव कागजों पर भले ही हो लेकिन धरातल पर कहीं नहीं दिखा। धुआं छोड़ते कंडम वाहनों पर ब्रेक लगाने, मिट्टी, बालू व डस्ट के परिवहन को रोकने, सड़क निर्माण के दौरान पानी छिड़काव कराने, धुआं एवं छाई उगल रही फैक्ट्रियों का कुछ समय के लिए संचालन बंद कराने तथा कूड़ा-कचरा जलाने पर रोक लगाने का काम कहीं नजर नहीं आया। यमुना खादर मे हरियाणा की सीमा में किसानों के पुआल जलाने पर अंकुश लगवाने के लिए बागपत के अधिकारियों ने सोनीपत-पानीपत के अधिकारियों से बात करना जरूरी नहीं समझा। पानी छिड़काव की रस्म

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बागपत नगर पालिका परिषद ने प्रदूषण की समस्या से लोगों को छुटकारा दिलाने को सड़कों पर टैंकर से पानी छिड़काव की रस्म अवश्य निभाई। नगर की सड़कों

पर छिड़काव कराया गया लेकिन कई सड़कें सूखी ही रह गई। छिड़काव के कुछ समय बाद पानी सूख गया और शहर की सड़कों पर फिर धूल के कण उड़ते हुए दिखे। इन बीमारियों का खतरा

सीएचसी बागपत अधीक्षक डा. विभाष राजपूत ने कहा कि मौसम बदल रहा है साथ ही प्रदूषण की समस्या गहराई है। ऐसे में सावधानी की आवश्यकता है। प्रदूषण फैलने वाले कण सांस लेने के साथ शरीर में पहुंच जाते हैं। इससे सांस नली से जुड़े हिस्से में सूजन आ सकती है। फेफड़ों में प्रदूषित हवा जाने में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। हार्टअटैक, स्ट्रोक्स, ब्लड प्रेशर, पैरालाइसिस व ब्रेन हैमरेज, गला चौक होने तथा आंखों में जलन की समस्या बढ़ सकती है। जानिए हवा की सेहत

-सोमवार को एक्यूआइ-342

-मंगलवार में एक्यूआइ-372

-बुधवार को एक्यूआइ-408

प्रदूषण के कारण

-डस्ट-बालू परिवहन से प्रदूषण बढ़ा।

-धूल को कंट्रोल नहीं किया जा रहा।

-सड़क निर्माण में पानी छिड़काव नहीं।

-फसल अवशेष जलाने पर रोक नहीं।

-मिट्टी की खुदाई तथा परिवहन होना।

-सड़कों पर कंडम वाहनों का दौड़ना।

-फैक्ट्रियों से निकली छाई तथा धुआं।

-कूड़ा-कचरा जलाने से समस्या बढ़ी।

-पड़ोसी राज्य से प्रदूषित हवा आना।

-कोल्हु का धुंआ बढ़ा रहा समसया। ऐसे करें बचाव

-बीमार होने पर स्मॉग में घर से कम बाहर निकलें।

-बेहतर होगा कि सुबह आठ बजे बॉक पर निकलें।

-रोजाना कम से कम चार लीटर पानी अवश्य पीएं।

-घर से निकलते वक्त साफ पानी जरुर पीना चाहिए।

-किसी सूरत में डस्ट को शरीर के अंदर न जाने दें।

-अस्थमा मरीज अपनी दवा व इन्हेलर को साथ रखें।

-बाइक व साइकिल पर मास्क लगाकर ही सफर करें।

-अस्थमा मरीज पालतू जानवारों के नजदीक न जाएं।

-बेहतर होगा कि किसी सूरत में ध्रूमपान कतई न करें।

-बदलते मौसम में खान-पान पर भी ध्यान देना होगा। इन्होंने कहा..

प्रदूषण की समस्या से निपटने को जहां हम लोगों को फसल अवशेष नहीं जलाने को जागरूक कर रहे हैं, वहीं सड़कों और कस्बों की सड़कों पर पानी छिड़काव कराने तथा कंडम वाहनों का संचालन रोकने को आदेश अधिकारियों को दिया है। एनएचएआइ के अधिकारियों को कहकर निर्माणाधीन दिल्ली-सहारनपुर नेशनल हाईवे पर पानी का छिड़काव की व्यवस्था कराई गई है।

-शकुंतला गौतम, जिलाधिकारी।


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