पक्के इरादों से दहेज का दशानन फूंक रही है सरिता
एक बार हिम्मत दिखाकर दहेज के खिलाफ आवाज तो उठाइए, फिर किसकी मजाल कि कोई दहेज मांगे, लेकिन पहले अपनी नीयत बदलनी होगी। आप ठान लीजिए कि दहेज लेंगी न देंगी। महिलाओं को यह संकल्प दिलातीं है सरिता। उनकी बातों का महिलाओं पर जादू चलता है और कई ने बिना दहेज के बेटे और बेटियों की शादी की पहल भी की है।
बागपत: एक बार हिम्मत दिखाकर दहेज के खिलाफ आवाज तो उठाइए, फिर किसकी मजाल कि कोई दहेज मांगे, लेकिन पहले अपनी नीयत बदलनी होगी। आप ठान लीजिए कि दहेज लेंगी न देंगी। महिलाओं को यह संकल्प दिलातीं है सरिता। उनकी बातों का महिलाओं पर जादू चलता है और कई ने बिना दहेज के बेटे और बेटियों की शादी की पहल भी की है।
पलड़ी गांव की सरिता स्नातक है। 48 वर्षीय सरिता ने दो साल पहले बेटी का रिश्ता तय किया था। बारात आने में कुछ दिन बाकी थे, लेकिन वर पक्ष ने दहेज में कार और लाखों की मांग की। सरिता ने प्लान बनाया कि दहेज की लिखित सूची प्राप्त कर लूं, ताकि कानूनन सबक सिखाया जा सके। सरिता ने वर पक्ष से कहा कि दहेज में क्या-क्या चाहिए? इसकी सूची बनाकर दीजिए, लेकिन उन्होंने सूची देने से मना कर दिया। लगे हाथों सरिता ने बेटी का रिश्ता तोड़ दिया। फिर बेटी का रिश्ता दूसरी जगह करने के बाद सरिता ने ठान लिया कि वह दहेज के खिलाफ महिलाओं को जागरूक करेगी ताकि किसी बेटी का घर न उजड़े। उनकी बात की पलड़ी की एक महिला पर असर हुआ और उसने बेटी और बेटे की शादी बिना दहेज की। इससे सरिता का हौसला बढ़ा तो गांव-गांव जाकर महिलाओं को दहेज के खिलाफ समझाने लगीं। दहेज नहीं बल्कि वह बेलगाम जनसंख्या बढ़ोत्तरी, कन्या भ्रूण हत्या और अशिक्षा जैसी बुराई के खिलाफ भी महिलाओं को समझाती है।
उनकी बातों का ऐसा जादू चल रहा है कि घटोली, पटोली, ढिकोली, पांची, खट्टा प्रहलादपुर, डौलचा, दत्तनगर, मुकारी, सांकलपुट्ठी तथा पिलाना आदि गांवों में सैकड़ों महिला उनसे जुड़ गईं। वह 500 महिलाओं को शपथ दिला चुकीं है कि दहेज लेंगी और न देंगी। सरिता कहतीं है कि मेहनत का नतीजा यह रहा कि 20 महिलाओं ने अपने बेटों की शादी में दहेज नहीं लिया।