त्याग भावना से बनता है मानव जीवन श्रेष्ठ: धनकुमार
रंछाड़ गांव के होलीवाला मंदिर परिसर में तीन दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ के दूसरे दिन मंगलवार को आचार्य धनकुमार ने कहा कि ममत्व का त्याग करने पर ही मनुष्य संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है।
बागपत, जेएनएन। रंछाड़ गांव के होलीवाला मंदिर परिसर में तीन दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ के दूसरे दिन मंगलवार को आचार्य धनकुमार ने कहा कि ममत्व का त्याग करने पर ही मनुष्य संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है। राष्ट्रीय वाचस्पति परोपकारिणी परिषद के अध्यक्ष धन कुमार शास्त्री ने वेदोपदेश देते हुए कहा कि समाज मे व्याप्त विकृतियों के कारण मनुष्य लोभ, मोह व अहंकार जैसी बुराइयों से ग्रस्त है। ममत्व न छोड़ने से वह सांसारिक बंधनों में बंधा रहता है। श्रेष्ठ जीवन व्यतीत करने के लिए अंदर के ममत्व को छोड़ देना चाहिए तभी मानव जीवन सुखमय बन सकता है। बिजेंद्र सिंह सपत्नीक यज्ञमान रहे। लाक्षागृह गुरुकुल बरनावा के आचार्य सुनील शास्त्री व रोहित शास्त्री ने सस्वर वेदपाठ किया। मास्टर सहेंद्र प्रधान, देवेंद्र तोमर, महावीर सिंह, जयसिंह, कृष्णपाल शर्मा, विक्रम जैन, समरपाल प्रधान, महक सिंह, जयप्रकाश, मथन सिंह, श्याम सिंह, सत्यपाल, ईलमचंद, लालचंद, दिलावर, सुरेंद्र, रविद्र हट्टी आदि ने आहुति दी।