दिन भर होती रही अजित सिंह के चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की चर्चाएं
रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित के बयान, 'अभी चुनाव लडऩे का तय नहीं किया। 80 साल का हो गया हूं। जरूरी है कि चुनाव लड़ता रहूं। पर उनके चुनावी राजनीति से संन्यास की चर्चा खूब चली।
बागपत (जेएनएन)। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के मंगलवार को इस बयान, 'अभी मैंने चुनाव लडऩे का तय नहीं किया है। 80 साल का हो गया हूं। कोई जरूरी है कि चुनाव लड़ता रहूं।' ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। दिन भर यह चर्चा अफवाह बनकर उड़ती रही कि अजित सिंह राजनीति से संन्यास लेने जा रहे हैं। हालांकि बाद में इस अफवाह को खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। राजनीति से संन्यास लेने का मतलब ही नहीं है।
रालोद महागठबंधन का हिस्सा बनेगा
बागपत में मंगलवार को पहुंचे चौधरी अजित सिंह जनसंवाद के बाद पत्रकारों से मुखातिब हुए। इस दौरान यह पूछने पर कि वह चुनाव कहां से लड़ेंगे, उन्होंने स्पष्ट उत्तर देने की बजाय गोलमोल जवाब दिया। जिससे उनके राजनीति से संन्यास लेने की अफवाह फैल गई। देर रात उन्होंने दैनिक जागरण से कहा कि चुनाव अभी दूर है। वह सामाजिक सद्भाव और भाईचारा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव अभी दूर है। चुनाव आने पर तय करेंगे कि उन्हें क्या करना है या कहां से चुनाव लडऩा है। इससे पूर्व जनसंवाद में उन्होंने कहा कि रालोद महागठबंधन का हिस्सा बनेगा। महागठबंधन से बाहर चुनाव लडऩे वाला दल खत्म हो जाएगा। भाजपा के खिलाफ आंधी चल रही है। लिहाजा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होगा। देश में भाजपा की नहीं, आरएसएस की सरकार है। कहा, राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोदी को प्यार की झप्पी देकर यह संदेश दिया कि हम प्यार की सियासत करते हैं और भाजपा नफरत की। कहा कि आज किसान एवं मजदूर समेत हर वर्ग परेशान है। मुजफ्फरनगर में हमने हिंदू-मुस्लिम भाईचारा मजबूत करने की शुरुआत की। कैराना लोकसभा उपचुनाव में तबस्सुम की जीत इसका नतीजा है।
भाजपा के खिलाफ आंधी
अजित ने अपने बयान में कहा कि अब वह चुनाव लड़ेंगे नहीं, बल्कि लड़वाएंगे। रालोद महागठबंधन का हिस्सा बनेगा। महागठबंधन से बाहर चुनाव लडऩे वाला दल खत्म हो जाएगा। भाजपा के खिलाफ आंधी चल रही है। लिहाजा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होगा। देश में भाजपा की नहीं, आरएसएस की सरकार है। कहा, राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोदी को प्यार की झप्पी देकर यह संदेश दिया कि हम प्यार की सियासत करते हैं और भाजपा नफरत की। कहा कि आज किसान एवं मजदूर समेत हर वर्ग परेशान है। मुजफ्फरनगर में हमने हिंदू-मुस्लिम भाईचारा मजबूत करने की शुरुआत की। कैराना लोकसभा उपचुनाव में तबस्सुम की जीत इसका नतीजा है।
अजित सिंह का अब तक का राजनीतिक सफर
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भड़ोला गांव में हुआ। स्कूली पढ़ाई देहरादून के कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल तथा बाद में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी व आइआइटी खडग़पुर से बीटेक पूरा किया। साल 1986 में राज्यसभा सदस्य बने। वर्ष 1987 में लोकदल अध्यक्ष बने। साल 1989, 1991, 1996 में लोकसभा चुनाव जीते। 1998 में भाजपा के सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए। साल 1999, साल 2004 और 2009 में चुनाव जीते। भाजपा की प्रचंड लहर में साल 2014 में मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से इस्तीफा देकर आए सत्यपाल सिंह से चुनाव हार गए। अजित सिंह जनता दल सरकार में 1996 में उद्योग मंत्री, 1991 में कांग्रेस सरकार में खाद्य मंत्री, साल 2000 में भाजपा सरकार में कृषि मंत्री और साल 2009 में कांग्रेस सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे हैं।