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अजित सिंह सक्रिय राजनीति से दूर, कहा-नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

बागपत में आज राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 04:37 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 05:11 PM (IST)
अजित सिंह सक्रिय राजनीति से दूर, कहा-नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
अजित सिंह सक्रिय राजनीति से दूर, कहा-नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

बागपत (जेएनएन)। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह ने सक्रिय राजनीति से दूर होने का संकेत दिया है। माना जा रहा है कि अब वह किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे।

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बागपत में आज राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बागपत को उनका गढ़ माना जाता था। पिछला चुनाव हारने के बाद व्यथित अजित सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन का सवाल ही पैदा नहीं होता। कैराना लोकसभा उप चुनाव में उनकी पार्टी की प्रत्याशी को समाजवादी पार्टी से समर्थन मिला था। भाजपा की मृगांका सिंह को शिकस्त देकर राष्ट्रीय लोकदल की तब्बसुम हसन ने चुनाव जीता था। अजित सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल अब भी भाजपा के खिलाफ बन रहे महागठबंधन के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। वह कहीं से भी पार्टी के प्रत्याशी नहीं रहेंगे।

बागपत में चौ. अजित सिंह ने पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस  में जनसंवाद के बाद पत्रकार वार्ता में भाजपा पर जमकर निशाना साधा। अजित सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का भाजपा से गठबंधन का सवाल पैदा ही नहीं होता। रालोद भाजपा के खिलाफ बन रहे महागठबंधन के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। जो दल महागठबंधन के संग मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगा वह खत्म हो जाएगा। कहा कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लडेंगे। परिवर्तन की बयार बहनी शुरू हो गई और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा। देश में भाजपा का नहीं आरएसएस का राज चल रहा है।

भाजपा लोगों को बरगलाने और  नफरत की सियासत कर रही है। वह हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिंदूओं को भी जातिगत आधार पर बांटकर लड़ाने का काम कर रही है। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष नहीं बल्कि पीएम की हार हुई है, क्योंकि राहुल गांधी पीएम मोदी के गले लग यह संदेश देने में सफल रहे कि हम प्यार की सियासत करते हैं और भाजपा नफरत की राजनीति करती है। मोदी के चार साल के कार्यकाल में किसान और मजदूर समेत हर वर्ग परेशान है। गन्ना समर्थन मूल्य में 20 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाने की घोषणा की गई लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को महज 6.42 रुपये प्रति कुंतल का बढ़ा दाम मिलेगा।

केंद्र सरकार के सात हजार करोड़ के गन्ना पैकेज को ढकोसला बताते हुए कहा कि किसानों को इससे रत्तीभर फायदा नहीं मिलने वाला। भाजपा नफरत की सियासत करती है और हम प्यार की राजनीति करते हैं। मुजफ्फरनगर में हमने जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारा मजबूत करने की शुरूआत की थी उसी का नतीजा है कैराना लोकसभा उपचुनाव में तबस्सुम बेगम की जीत हुई। अजित ने कहा कि देश के असल मुद्दो से ध्यान हटाने को भाजपा दंगे कराने के सिवा कोई काम नहीं करती। मोदी हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा नहीं कर पाए  अब देश में भाजपा विरोधी की आंधी चल रही है।

चौधरी अजित सिंह ने  2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की बात को नकारते हुए कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, अब 80 साल का हो गया हूँ। अब और चुनाव नहीं। इस घोषणा से यह भी साफ हो चला है कि वे किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैं। जयंत चौधरी के सियासी भविष्य पर अजित ने कहा कि अभी तो धूल फांक रहे हैं जयंत। बाद में क्या होगा तय नहीं।

बागपत में पार्टी की चुनाव समीक्षा बैठक में पहुंचे अजित सिंह ने कहा कि अब 80 वर्ष का हूं। 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगा। मीडिया से बातचीत में अजीत सिंह ने महागठबंधन को समय की जरूरत भी बताया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के तहत 2019 का चुनाव लडऩा हर दल की मजबूरी है। अगर अगला लोकसभा चुनाव कोई दल अकेला लड़ता है तो वह समाप्त हो जाएगा। 

अजित सिंह 1986 में पहली बार राज्य सभा के लिए चुने गए। 1989 में बागपत से पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद 1991 और 1996 में फिर लोकसभा के लिए चुने गए। 1998 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल का गठन किया। इसके बाद 1999, 2004 और 2009 में भी बागपत से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के सामने उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। उन्हें बागपत से भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सतपाल सिंह ने हराया। पश्चिम यूपी में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल 2014 में बुरी तरह से हारी। 


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