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आरटीआइ के बलबूते आयोग से रद करा दिया निर्वाचन

जहीर हसन, बागपत सहदेव ¨सह..! यह वह शख्स हैं, जिन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रयो

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:49 PM (IST)
आरटीआइ के बलबूते आयोग से रद करा दिया निर्वाचन
आरटीआइ के बलबूते आयोग से रद करा दिया निर्वाचन

जहीर हसन, बागपत

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सहदेव ¨सह..! यह वह शख्स हैं, जिन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर राज्य निर्वाचन आयोग को भी चुने गए जनप्रतिनिधि के शैक्षणिक रिकार्ड की पड़ताल कराने को विवश किया। पड़ताल में जनप्रतिनिधि की उम्र कम निकली और उसका निर्वाचन रद करना पड़ा। इस जीत से उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने घोटालों का राजफाश करने के लिए आरटीआइ को हथियार बना लिया। उन्हें झूठे केस में फंसाने की धमकी मिली, लेकिन वह नहीं टूटे।

बागपत जनपद के मीतली गांव निवासी सहदेव आरटीआइ कार्यकर्ता हैं। दरअसल, वह साल 2005 में ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव में पराजित हो गए थे। तब सूचना का अधिकार अधिनियम से आमजन ज्यादा वाकिफ नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे हथियार बनाकर निर्वाचित ग्राम पंचायत सदस्य के शैक्षिक प्रमाण पत्र प्राप्त किए तो उनकी उम्र 20 वर्ष निकली, जबकि चुनाव लड़ने को 21 वर्ष होना अनिवार्य है। लिहाजा अपने प्रतिद्वंदी के चुनाव अवैध घोषित कराने को एसडीएम कोर्ट में मुकदमा लड़ा और जीत हासिल की, जिससे 2008 में राज्य निर्वाचन आयोग को निर्वाचन रद कर पुन: चुनाव कराना पड़ा। दोबारा चुनाव में सहदेव ¨सह जीत गए। यही से सहदेव ¨सह के दिमाग में विचार आया कि क्यों न वह सूचना का अधिकार अधिनियम के दम पर गांवों के विकास में होने वाले घोटालों का राजफाश करें? अब तक वह विभिन्न विभागों में 600 से ज्यादा आरटीआइ लगा सूचना प्राप्त कर चुका है। शौचालयों तथा विकास निर्माण में 20 लाख रुपये का राजफाश कराकर प्रधान और कर्मियों पर वसूली निकलवा चुके हैं। उनके सूचना मांगने का परिणाम है कि गांव में प्रधान को धरातल पर विकास कराना पड़ा। श्मशान निर्माण को मिले 24 लाख रुपये में बंदर बांट होने से बचाई। सूचना नहीं देने पर जिला पंचायत राज अधिकारी तथा तीन पंचायत सचिवों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगवा चुके हैं। फिलहाल उन्हें आठ लाख रुपये के घोटाले का राजफाश कराने के मामले में झूठे मुकदमें में फंसाने की धमकी मिल चुकी है, जिसकी शिकायत अफसरों से की है। सहदेव की मानें तो शासन में अनु सचिव गृह विनय कुमार ¨सह ने सात सितंबर-2018 को एसपी को कार्रवाई के लिए लेटर भेजा लेकिन न सुरक्षा मिली और न धमकी देने वालों पर शिकंजा कसा। कहते हैं कि सूचना मांगना जारी रखेंगे। चाहे अंजाम कुछ भी हो..।


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