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कहीं साजिशन तो नहीं काटी गई वोट!

वोट कटने से लोगों को मायूसी हुई। गुरुवार को मतदान के दौरान वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के कई मामले सामने आए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:31 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:08 AM (IST)
कहीं साजिशन तो नहीं काटी गई वोट!
कहीं साजिशन तो नहीं काटी गई वोट!

संवाद सहयोगी, बड़ौत (बागपत) : लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग द्वारा कई चरणों में चलाए गए मतदाता पुनरीक्षण अभियान के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब हो गए। वोट कटने से लोगों को मायूसी हुई। गुरुवार को मतदान के दौरान वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के कई मामले सामने आए।

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शहर के वीर स्मारक इंटर कालेज में बनाए गए मतदान केंद्र पर पहुंचीं सरवरी पत्नी नजीर (70) ने बताया कि वह सालों से वोट डालती आ रही हैं, मगर इस बार उनकी वोट कट गई है। उन्होंने बीएलओ पर मनमानी करने का आरोप लगाया। इसी केंद्र पर पहुंचे गुराना रोड निवासी अनिल पुत्र जगदीश ने बताया कि उनकी स्वयं की, पत्नी अनीता, बेटा कार्तिक, बेटी निधी की वोट इस बार कट गई है। जैन स्थानकवासी ग‌र्ल्स डिग्री कालेज में वोट डालने पहुंची पारुल को भी अपना नाम वोटर लिस्ट से गायब मिला। इसके अलावा बूथ संख्या 142, 143 पर पुष्पा, विकास, सत्यवीर शर्मा, रामपत शर्मा, प्रशांत, निशांत, किशन आदि की वोट कटी हुई थी।

यह है प्रक्रिया

नए वोट बनाने के लिए फार्म नंबर 6, वोट कटवाने के फार्म नंबर 7 व वोटर सूची में संशोधन के लिए फार्म नंबर 8 भरा जाता है। फार्म छह से वोटर का नाम लिस्ट में शामिल होता है। अगर पता बदला है, तो दूसरी जगह वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए फॉर्म-7 है। किसी की मृत्यु की सूरत में फॉर्म-7 का ही इस्तेमाल होता है। इसमें मतदाता की मृत्यु की सूचना पर उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाता है।

ऐसे होता है खेल

चुनाव की तैयारी नई वोटर लिस्ट बनने, व उसके पुनरीक्षण के साथ शुरू होती है। सियासत के शातिर खिलाड़ी यहीं वोटर लिस्ट में सेंध लगाते हैं। सेंध इस बात को ध्यान में रखकर लगाई जाती है कि उम्मीदवार के किस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा या सबसे कम वोटर हैं। इसके लिए अपने ज्यादा से ज्यादा वोट बनवाए जाते हैं। दूसरा दांव होता है कि संभावित विपक्षी उम्मीदवार या पार्टी के परंपरागत वोटर के नाम गायब कराना। इसके लिए फर्जी तरीके से थोक के भाव फॉर्म-7 लगाकर उनके वोट ऐसे पते पर ट्रांसफर कर दिए जाते हैं कि वो ताउम्र नहीं ढूंढ सकते। वैसे अधिकतर मामलों में वोटर को पता ही नहीं चल पाता कि उसका नाम वोटर लिस्ट से कट गया है या ट्रांसफर हो गया है।

इन्होंने कहा..

इस बार वोट पुनरीक्षण का काम काफी व्यापक स्तर पर हुआ है। गड़बड़ी होने की गुंजाइश काफी कम है, जिन लोगों के दो जगह वोट पाए गए हैं, वहीं उन लोगों के नाम काटे गए हैं।

-गुलशन कुमार, उपजिला निर्वाचन अधिकारी बड़ौत।


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