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सच मानो, खपराना की तकदीर में ही नहीं हैं सुविधाएं

संवाद सूत्र, बिनौली (बागपत): ¨हडन नदी के किनारे बसे खपराना गांव देश आजाद होने के बाद सात दश्

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 08:23 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 08:23 PM (IST)
सच मानो, खपराना की तकदीर में ही नहीं हैं सुविधाएं
सच मानो, खपराना की तकदीर में ही नहीं हैं सुविधाएं

संवाद सूत्र, बिनौली (बागपत): ¨हडन नदी के किनारे बसे खपराना गांव देश आजाद होने के बाद सात दशक बाद भी परिवहन, स्वास्थ्य व स्वच्छ पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है, जिसके चलते ढाई हजार की आबादी वाला यह गांव बदहाल है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर बरनावा-शाहपुर बाणगंगा मार्ग पर ¨हडन नदी के किनारे स्थित खपराना में 1200 मतदाता हैं।

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परिवहन की सुविधा शून्य

इस गांव में परिवहन की कोई सुविधा नहीं है। बरनावा से वाया शाहपुर बाणगंगा लगभग छह किमी दूरी तय करके खपराना पहुंचने के लिए परिवहन की कोई सुविधा नही है। इस मार्ग पर एक दो डग्गामार टेंपो जरूर चलते हैं, लेकिन शाम के समय यह सुविधा भी समाप्त हो जाती है। शाम ढले रिश्तेदार आ जाये तो उसे किसी वाहन से बरनावा लेकर आना पड़ता है। शाहपुर बाणगंगा गांव में रास्ता संकुचित होने के कारण कोई बस या बड़ा वाहन भी गांव में नहीं पहुंच पाता। परिवहन की सुविधा नहीं होने पर ग्रामीणों को गंतव्यों पर पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ती है।

बनने से पहले खंडहर

हो गया उपकेंद्र

इस गांव में स्वास्थ्य भी उपलब्ध नहीं है। एनएचएम योजना द्वारा स्वीकृत स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण आज तक अधूरा पड़ा है। हालात ये हैं कि उपकेंद्र चालू होने से पूर्व ही खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां तैनात एएनएम यहां टीकाकरण के समय ही दिखती है। रात में कोई बीमार हो जाए तो बिनौली या बड़ौत की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।

जीवनदायिनी भी बनी अभिशाप

गांव के पास से गुजर रही ¨हडन नदी भी यहां के बा¨शदों के लिए अभिशाप बनी है। नदी के केमिकल युक्त पानी का असर भूजलस्तर तक पहुंच जाने से लोगों को जहरीला पानी पीना पड़ रहा है। नतीजतन आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित है। जबकि दर्जन भर से अधिक की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।

स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं

हिंडन नदी के प्रदूषित जल का असर सरकारी हैंडपंपों में आने से एनजीटी के आदेश पर दर्जन भर अधिक को जल निगम ने उखड़वा दिया है, लेकिन ग्राम पंचायत द्वारा एक सबमर्सिबल पंप जलापूर्ति के लिए लगवाया गया है जो नाकाफी है। मजबूरी में लोग निजी हैंडपंपों का दूषित पानी पीने को मजबूर है। तमाम प्रयासों के बाद भी यहां बनी पेयजल परियोजना परवान नही चढ़ पाई है।

नहीं आते सरकारी कर्मचारी

इस गांव में तैनात लेखपाल, ग्राम पंचायत सचिव, ऊर्जा निगम, ब्लाक विभाग के कर्मचारी व अधिकारी शायद ही कभी यहां आते हो, जिसके चलते ग्रामीणों को छोटे छोटे कामों के लिए भी ब्लाक, तहसील व जनपद मुख्यालय की ओर दौड़ना पड़ता है। इसके अलावा शिक्षा व बिजली की व्यवस्था भी यहां सुचारू नही है।

सुनिए लोगों की शिकायत

ग्राम प्रधान राजेंद्र ¨सह कहते हैं कि यहां ग्राम पंचायत निधि में काफी कम धनराशि आती है जिसके कारण कई विकास कार्य नही हो पाते है। जितनी धनराशि मिलती हूं उससे विकास कराने के हरसंभव प्रयास किए जाते हैं। प्रमोद बाबा का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की वादा खिलाफी के चलते गांव विकास से कोसो दूर है। रामकुमार कहते हैं कि नदी के प्रदूषण से आज तके मुक्ति नही मिल पाई है। ओमवीर ¨सह कहते हैं कि आज तक सरकार ने कोई मूलभूत सुविधा यहां मुहैय्या नहीं कराई है।


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