बच्चे पढ़ाने के बजाय बाकी सब कुछ
जागरण संवाददाता, बागपत: लगता है शिक्षा विभाग को बच्चों की पढाई-लिखाई की कतई ¨चता नहीं है
जागरण संवाददाता, बागपत: लगता है शिक्षा विभाग को बच्चों की पढाई-लिखाई की कतई ¨चता नहीं है। इसका सबूत है गुरुवार को डीआइओएस दफ्तर में परीक्षा केंद्रों के निर्धारण संबंधित कागजी मशक्कत करतीं अध्यापिकाओं की फौज। यह एक दिन की बात नहीं, बल्कि गत दस-पंद्रह दिन से ऐसा चल रहा है। साफ है कि शिक्षकों बिना बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चौपट है।
पहले तो इन शिक्षकों ने 140 माध्यमिक विद्यालयों में जाकर उनके द्वारा यूपी बोर्ड की साइट पर अपलोड कराई गई सूचनाओं का स्थलीय सत्यापन किया। फिर रिपोर्ट तैयार कर यूपी बोर्ड की साइट पर अपलोड कराई। इस पूरी प्रक्रिया में दो सप्ताह का समय लग गया। इसके बाद यूपी बोर्ड ने माध्यमिक स्कूलों में लगे सीसीटीवी कैमरे और वायस रिकार्डिंग का ब्योरा तलब किया। यह ब्योरा जुटाने को राजकीय विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को लगाया गया।
इन्होंने फिर आवंटित विद्यालयों की और दौड़ लगाई और उक्त ब्योरा जुटाकर अपनी रिपोर्ट तैयार की। डीआइओएस दफ्तर में रिपोर्ट कंपाइल करने तथा अपलोड कराने में कई दिन गुजर गए, लेकिन अब भी काम अधूरा है। गुरुवार को तीन दर्जन शिक्षकों को डीआइओएस दफ्तर में काम करते देखा है। फिर इनके विद्यालयों में बच्चे कौन पढ़ा रहा है?
कई शिक्षकों ने कहा कि जो काम डीआइओएस दफ्तर के कर्मियों तथा अधिकारियों को करना चाहिए, वह हम शिक्षिकाओं से कराया जाता है। प्रभारी डीआइओएस कुमुद रानी ने कहा कि स्कूलों का सत्यापन भी जरुरी था।
न वायस रिकार्डिंग न कैमरे
बागपत: पिछले तीन साल से जो विद्यालय परीक्षा केंद्र बनते आ रहे हैं, उनका सत्यापन किया गया है। ऐसे विद्यालय 68 हैं। इनमें दो विद्यालयों को छोड़कर बाकी किसी विद्यालय के हर कक्ष में दो-दो सीसीटीवी कैमरे वायस रिकार्डिंग समेत नहीं मिले। बता दें कि जिनमें सीसीटीवी कैमर और वायस रिकार्डिंग सुविधा होगी, उन्हें ही परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।