Move to Jagran APP

आज भी दुश्मनों से भिड़ने को तैयार रिटायर्ड कैप्टन कमल

खट्टा प्रहलादपुर के रिटायर्ड कैप्टन कमल सिंह आज भी दुश्मनों से लोहा लेने को तैयार है। उनकी माने तो सैनिक कभी रिटायर्ड नहीं होता। उनके पुत्र ने सालों राजपूताना राइफल में रहकर देश सेवा की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 12:00 AM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 06:27 AM (IST)
आज भी दुश्मनों से भिड़ने को तैयार रिटायर्ड कैप्टन कमल
आज भी दुश्मनों से भिड़ने को तैयार रिटायर्ड कैप्टन कमल

बागपत, जेएनएन : खट्टा प्रहलादपुर के रिटायर्ड कैप्टन कमल सिंह आज भी दुश्मनों से लोहा लेने को तैयार हैं। उनका मानना है कि सैनिक कभी रिटायर्ड नहीं होता। उनके पुत्र ने सालों तक राजपूताना राइफल में रहकर देश सेवा की। आज भी पूर्व कैप्टन की रगों में देश सेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। पूर्व कैप्टन ने पाकिस्तान से 1965 की जंग भी लड़ी थी।

loksabha election banner

रि. कैप्टन कमल सिंह ने बताया कि 1957 में दिल्ली से राजपूताना राइफल में भर्ती हुए थे। कुछ दिनों बाद ही उनकी बटालियन को जम्मू में तैनात कर दिया था। चीन से युद्ध में जाने से छह घंटे पहले तैयार होने के निर्देश दिए गए, लेकिन सीज फायर के कारण लड़ने का मौका नहीं मिला। पांच अगस्त 1965 में पाकिस्तान से युद्ध में मोर्चा संभाला। जंग में बटालियन नायक अब्दुल रहमान, सिपाही ओमप्रकाश ने शहादत पाई थी। ताशकंद समझौता से युद्ध विराम हुआ था। 1971 में पाकिस्तान से फिर जंग छिड़ी, लेकिन दिल्ली में तैनाती के चलते लड़ने का मौका नहीं मिला। 1985 में उनकी सेवा का कार्यकाल पूरा हुआ।

------

तोप के गोलों से बचने को

पांच दिन रहे थे भूखे-प्यासे

कमल सिंह ने बताया कि 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से दागे जा रहे तोप के गोलों से बचने के लिए वे टीम के संग पांच दिनों तक भूखे-प्यासे रहे थे। सीज फायर के कारण उनकी टीम को गूथरिया व शाहपुर की चौकी छोड़नी पड़ी थी, जिसका उन्हें आज भी मलाल है। पाकिस्तान से लड़ाई बाद उन्हें समर सेवा व रक्षा मेडल से सम्मानित किया गया।

-------

परिवार के अन्य लोग

भी सेना में रहे

1980 में उनके इकलौते बेटे ब्रजपाल का चयन भी राजपूताना राइफल में हुआ। बेटे ब्रजपाल की तैनाती नागालैंड, मिजोरम, कश्मीर व भूटान में रही। 1990 में वह सेवानिवृत हो गए। इसके अलावा पूर्व कैप्टन कमल सिंह के भतीजे बनी सिंह सीआरपीएफ व जयपाल सिंह आर्मी से रिटायर्ड हो चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.