और दिनभर गुजरता रहा बेबस कामगारों का कारवां
लॉकडाउन के बावजूद गैर राज्यों के कामगारों का सैलाब अपने घरों की और बढ़ता दिखा।
बागपत, जेएनएन। लॉकडाउन के बावजूद गैर राज्यों के कामगारों का सैलाब अपने घरों की और बढ़ता दिखा। शनिवार की पूरी रात और रविवार को दिनभर ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर हरियाणा और पंजाब से आए कामगारों का कारवां बागपत से होकर गुजरा। वहीं रविवार को खास बात यह नजर आई कि अधिकांश कामगार पैदल घरों को जाने के बजाय जहां हरियाणा रोडवेज की बसों और ट्रकों में सवार होकर जाते दिखे। वहीं दर्जनों लोगों को जुगाड़ वाहन यानी बाइक के पीछे छोटी सी बोगी फिट करके उसमें भी सवार होकर जाते दिखे। हालांकि, हजारों कामगारों को पैदल भी जाते दिखे पर गत दिवस के मुकाबले पैदल जाने वलाों की संख्या बहुत कम थी। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर कामगारों की मदद को पुलिस-प्रशासन की टीम मुस्तैद रही व हजारों कामगारों को ट्रकों व अन्य वाहनों में सवार कराकर भेजा। दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर भी हरियाणा और पंजाब से आते कामगारों को पैदल आते देखे गए। घर लौटने के सिवा कोई चारा नहीं
बागपत में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे से गुजर रहे अलीगढ़ के गिरधारपुर गांव निवासी रामबोज ने बताया कि हम दो भाई हैं जो लुधियाना में रेहड़ी लगाकर अपने परिवार के 10 लोगों का भरण पोषण करते थे। लॉकडाउन से रेहड़ी लगा नहीं सकते और वहीं मकान मालिक ने मकान का किराया मांगना शुरू कर दिया तो ऐसे में हमारे पास घर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। बरेली के राम सिंह ने कहा कि रोहतक में हम राजमिस्त्री का काम करते थे लेकिन काम बंद होने से न मकान का किराया देने को पैसे हैं और न बच्चों को रोटी खिलाने को कुछ पास था। इसलिए घर जाने को पैदल सफर कर रहे हैं। सीतापुर के खैराबाद निवासी सुनील, लखीमपुर के घनश्याम और विजयपाल ने बताया कि सोनीपत के कुंडली में स्टील फैक्ट्री में आठ से दस हजार रुपये महीना की नौकरी करते थे मगर जब से लॉकडाउन हुआ फैक्ट्री मालिक ने फोन तक नहीं उठाया। रोटी खाने तक को पैसे नहीं बचे। ऊपर से मकान मालिक ने किराया मांगना शुरू कर दिया। इसलिए हमनें घर लौटना ही बेहतर समझा। दिखा बेजोड़ सांप्रदायिक सौहार्द
बागपत में ईस्टन पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर कामगार कहीं भी जाति या धर्म में बंटे नहीं दिखे। हिदुओं की टोली में मुस्लिम और मुस्लिमों की टोली में हिदू कामगार जाते दिखे और एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाते दिखे। वहीं बागपत के काठा गांव के फिरोज, सलीम, आजम, वसीम नईम, अहसान काठा, मसूरी गांव के रिकेश यादव, कपिल यादव, प्रशांत यादव, प्रिस यादव व खेकड़ा के सोनू और इमरान समेत अनेक हिदू-मुस्लिम युवक कामगारों के गुजरते कारवां को भोजन के पैकेट और पानी के पाउच बांटने में जुटे रहे।