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साढ़े छह सौ साल का इतिहास समेटे है बड़ौत का दिगंबर जैन बड़ा मंदिर

जिले के प्राचीन जैन मंदिरों की बात करें तो बड़ौत स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर इतिहास समेटे है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 12:08 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 12:08 AM (IST)
साढ़े छह सौ साल का इतिहास समेटे है बड़ौत का दिगंबर जैन बड़ा मंदिर
साढ़े छह सौ साल का इतिहास समेटे है बड़ौत का दिगंबर जैन बड़ा मंदिर

बागपत, जेएनएन। जिले के प्राचीन जैन मंदिरों की बात करें तो बड़ौत स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर खुद में 650 साल का इतिहास समेटे हुए है। इस मंदिर में विराजमान अतिशयकारी मूर्तियां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। मंदिर में दीवारों, छतों पर की गई चित्रकारी, नक्काशी और सोने का काम इतना बेजोड़ है, जिसका कोई सानी नहीं। इस मंदिर में कुल 7 वेदियां है, जिन पर अलग-अलग तीर्थंकरों की मूर्तियां विराजमान हैं।

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जैन शास्त्रों के विद्वान और व्याख्यान वाचस्पति डा. श्रेयांश जैन बताते हैं कि इस अतिप्राचीन मंदिर की पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा, दूसरी वेदी पर भगवान पा‌र्श्वनाथ की मूल प्रतिमा और इसी प्रतिमा के बराबर में तीसरी वेदी पर भगवान नेमिनाथ की मूल प्रतिमा विराजमान है। पूरे विश्व में भगवान नेमिनाथ की प्रतिमाओं में सबसे दुर्लभ प्रतिमा मानी जाती है। यह प्रतिमा श्याम वर्ण में है। चौथी वेदी पर चौबीसों भगवान की मूर्तियां विराजमान हैं। इस चौबीसी में भगवान पा‌र्श्वनाथ की चमत्कारी प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा बड़ौत में ही खोदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। पांचवीं वेदी पर अरहनाथ भगवान की प्रतिमा खड़गासन में विराजमान है। सफेद संगमरमर की इस प्रतिमा में भगवान मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं। छठी वेदी पर चंद्रप्रभु भगवान की मूल प्रतिमा विराजमान है। इस अतिशयकारी प्रतिमा के चारों ओर सोने की नक्काशी की गई है। इसके साथ ही चंद्रगुप्त के 16 स्वप्नों को भी चित्रों के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से दिखाया गया है। सातवीं वेदी पर भी भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा विराजमान है।

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जब दूर किया गया मंदिर का वास्तु दोष

डा. श्रेयांश जैन बताते हैं कि इस मंदिर की पूर्व दिशा की तरफ दीवार थी और कोई दरवाजा नहीं था। इस दोष को दूर करने के लिए कुछ साल पहले समाज ने प्रयास करके पूर्व दिशा की तरफ एक भव्य दरवाजे का निर्माण कराया।

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हर साल निकाली जाती है भव्य रथयात्रा

इस मंदिर में हर वर्ष दशलक्षण पर्व पर तेरहदीप महामंडल विधान का आयोजन होता है, जिसके बाद यहां से भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इसे देखने के लिए और पूजा-अर्चना करने के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां पर लगता है। इस रथयात्रा में देश के कोने-कोने से दर्जनों बैंडबाजे और झांकियां मौजूद रहती हैं। इनमें धर्म से संबंधित एवं देशभक्ति से संबंधित झांकियां मौजूद रहती हैं। साथ ही रथयात्रा के दौरान सैकड़ों जगह पर सेवाभाव के लिए खाद्य और पेय पदार्थों का वितरण किया जाता है।


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