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कभी मजदूरी करते थे, अब बन गए हैं मालिकान

इन्हें मजदूर नहीं अब सेठजी कहिए जनाब!..यह हकीकत है उन मजदूरों की जो मौका मिलने पर स्वरोजगार के दम पर दूसरों की राह आसान बनाने में भी लगे हैं। यह संभव हुआ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से। दो चार नहीं बल्कि 40 हजार बेरोजगारों ने करीब 250 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर बेरोजगारी को मात दे मजदूरी से छुटकरा पाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। इमनें कई तो मजदूर की छवि से बाहर निकल अब सेठजी कहलाने लगे हैं। आइए जानते हैं वर्ष 2015 में मुद्रा योजना लांच होने के बाद गरीबों की जिदगी में आये बदलाव की कहानी..

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 09:21 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 09:21 PM (IST)
कभी मजदूरी करते थे, अब बन गए हैं मालिकान
कभी मजदूरी करते थे, अब बन गए हैं मालिकान

जागरण संवाददाता, बागपत: इन्हें मजदूर नहीं, अब मालिक कहिए जनाब!..यह हकीकत है उन मजदूरों की, जो मौका मिलने पर स्वरोजगार के दम पर दूसरों की राह आसान बनाने में भी लगे हैं। यह संभव हुआ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से। 40 हजार बेरोजगार करीब 250 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर मजदूरी से छुटकारा पाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। इनमें कई तो मजदूर की छवि से बाहर निकलकर अब कारोबारी कहलाने लगे हैं। आइए जानते हैं वर्ष 2015 में मुद्रा योजना लांच होने के बाद गरीबों की जिदगी में आये बदलाव की कहानी..

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ख्वाजा नंगला की इंटर पास पूनम दो बच्चों की मां हैं। करीब दो साल पहले सिड ग्रामीण प्रशिक्षण केंद्र बागपत से एक माह सिलाई की मुफ्त में ट्रेनिग करने के बाद सिडिकेट बैंक बड़ौत से मुद्रा योजना के तहत पांच लाख रुपये कर्ज लेकर सिलाई मशीनें लगाईं और रेडीमेट्स गार्मेंट्स काम शुरू किया। खुद के साथ आधा दर्जन महिलाओं को सिलाई का काम देती हैं और अब हर माह दस से पंद्रह हजार रुपये कमाती हैं।

..और अब सेठानी

खेकड़ा की मिथलेश भी सफलता का नया आयाम गढ़ रही हैं। हाईस्कूल पास मिथलेश दो साल पहले सिड ग्रामीण प्रशिक्षण केंद्र से सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मुद्रा योजना से दो लाख रुपये कर्ज लिया। सिलाई मशीन खरीदकर महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। महीने में 60-70 महिलाओं को प्रशिक्षण देती हैं। अब सिलाई प्रशिक्षण केंद्र के साथ ब्यूटी पार्लर तथा कास्मेटिक की दुकान चलाती हैं। हर माह 20 से 25 हजार रुपये तक कमा लेती हैं।

इनकी भी मिसाल

बागपत के हाईस्कूल पास बलराम को ही लीजिए जो छह हजार रुपये महीना की मजदूर करते थे। सिड ग्रामीण प्रशिक्षण केंद्र से मुफ्त में मोबाइल रिपेयरिग की ट्रेनिग ली। सिडिकेट बैंक से पचास हजार रुपये लोन लेकर सोनीपत मोड़ पर दुकान खोलकर शुरू में मोबाइल रिपेयर करने लगे फिर नये मोबाइल और सिम बेचने का काम शुरू कर दिया। मुद्रा योजना की तारीफ करते हुए बोले कि वह अब हर माह दस-पंद्रह हजार रुपये महीने कमाते हैं।

इनको मिला फायदा

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 2015 से 28 फरवरी 2018 तक करीब 40 हजार लोगों ने कर्ज लेकर स्वरोजगार किया। करीब 60 फीसदी महिलाओं ने कर्ज लिया। बता दें कि मुद्रा योजना में शिशु योजना में 50 हजार रुपये तक, किशोर योजना में पांच लाख रुपये और तरुण योजना में दस लाख तक कर्ज मिलता है।

चालू साल में मुद्रा योजना कर्ज वितरण

योजना लाभार्थी करोड़ रु.

शिशु 9166 22.85

किशोर 2230 36.81

तरुण 0367 26.77

इन्होंने कहा..

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में बिना गारंटी के लोन मिलता है। चालू साल में 11763 लोगों को 87 करोड़ कर्ज दिया गया है।

-प्रदीप थोराट, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक।


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