पर्यावरण के मृतप्राय पहरुओं में नवप्राण फूंक रहा हरित प्राण
बागपत जेएनएन। नए पौधों को पर्यावरण की सेवा लायक दरख्त बनने जहां सालों लग जाते हैं वहीं अगर
बागपत, जेएनएन। नए पौधों को पर्यावरण की सेवा लायक दरख्त बनने जहां सालों लग जाते हैं वहीं अगर आंधी-तूफान में उखड़ने वाले विशाल वृक्षों को जीवनदान मिल जाए तो फिर कहने ही क्या? ऐसी ही मुहिम में जुटी हरित प्राण संस्था नए पौधों के रोपण के साथ-साथ तूफान में जमींदोज होने वाले मृतप्राय दरख्तों को सीधा खड़ाकर नवजीवन दे रही है।
पेशे से चिकित्सक संस्था के अध्यक्ष डा. दिनेश बंसल के मुताबिक, प्रकृति से छेड़छाड़ के चलते पर्यावरण के विनाश से होने वाली तबाही के हम बिल्कुल करीब है। जलवायु व मौसम चक्र में हो रहा परिवर्तन हमारी खाद्य सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के लिए खतरा बन रहा है। ऐसे में पर्यावरण के पहरुओं की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ जरूरी है कि वे अपना जीवन भी पूर्ण सकें, क्योंकि नए पौधों को पर्यावरण की सेवा लायक दरख्त बनने जहां सालों लग जाते हैं। वहीं अगर आंधी-तूफान में उखड़ने वाले विशाल वृक्षों को जीवनदान मिल जाए तो सालों के समय को बचाया जा सकता है।
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दर्जनों जमींदोज पेड़ों को कर चुके हैं सीधा
इसी साल आठ जनवरी को शहर के दिगंबर जैन पालीटेक्निक परिसर में जमींदोज नीम के 15 साल पुराने पेड़ को करीब 60 डिग्री तक सीधा खड़ा किया गया, जिसके बाद अब यह पेड़ पूरी तरह हरा भरा हो चुका है। इसके बाद 14 मार्च को शहर के बिनौली रोड पर जमीदोज पिलखन के पुराने पेड़ को सीधा किया गया, जो अब पूरी तरह हरा-भरा हो चुका है। संस्था गांव देहात में दर्जनों अंतिम सांस गिन रहे पेड़ों को नवजीवन दे चुकी है।
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अवांछित जगहों पर जमे पेड़ को भी दिया जा रहा आश्रय
संस्था दीवारों, नालों और अवांछित जगहों पर जड़ें जमाने वाले पेड़ों को भी रेस्क्यू करती है और उन्हें सुरक्षित निकालकर सही जगहों पर रोपित करती है। संस्था का उद्देश्य है कि पर्यावरण के इन आक्सीजन प्लांटों को यथा संभव सम्मान मिले और उनके प्रयासों से आम जन भी जागरूक हो।